इस्लाम धर्म में ईद का त्यौहार काफी महत्व रखता है। इस लेख Essay On Eid In Hindi में ईद का त्यौहार पर निबंध में ईद का महत्व, ईद कब और क्यों मनाई जाती है? की जानकारी है। ईद भाईचारे, शांति और सादगी का सन्देश देती है। इस्लाम में कई त्यौहार मनाये जानते है लेकिन ईद का त्यौहार एक अलग ही ख़ुशी जाहिर करता है।
भाईचारे यह त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। पहला ईद उल फितर (मीठी ईद) और दूसरा ईद उल अजहा (बकरीद) दोनों त्यौहार बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाये जाते है। तो आइये दोस्तों, ईद का त्यौहार पर निबंध (Essay On Importance Of Eid Festival In Hindi) {कक्षा 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए} लेखन का प्रयास करते है।
ईद का त्यौहार पर निबंध – Essay On Eid Festival In Hindi
दोस्तों, आप जानते ही है की ईद का उत्सव वर्ष में 2 बार आता है। परन्तु इस त्यौहार की अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार एक निश्चित तिथि नहीं है। क्यूंकि अंग्रेजी का कैलेंडर सौर वर्ष पर आधारित होता है जबकि मुस्लिम हिजरी कैलेंडर चाँद वर्ष के अनुसार है। अंग्रेजी की तरह ही हिजरी कैलेंडर में महीने 12 होते है लेकिन दिन 365 के मुकाबले केवल 354 ही रहते है। इस तरह से हिजरी कैलेंडर में 11 दिन कम हो जाते है।
यही कारण है की ईद त्यौहार हर वर्ष 11 दिन पीछे खिसकता रहता है। आपने देखा होगा की ईद कभी गर्मियों में आती है तो कभी सर्दियों के मौसम में आती है। अब आइये दोस्तों ईद उल फितर और ईद उल- अजहा कब और क्यों मनाई जाती है? जानने का प्रयास करते है।
ईद का त्यौहार कब मनाया जाता है?
दोस्तों मीठी ईद और बकरीद दोनों त्यौहार मनाने का समय माह अलग अलग होता है। आगे ईद का त्यौहार का महीना और वक्त बताया गया है।
ईद उल फितर कब मनाया जाता है?
यह भाईचारे का त्यौहार इस्लामिक महीने शव्वाल की पहली तारीख को मनाया जाता है। ईद इस्लाम धर्म के पवित्र महीने रमजान के बाद मनाई जाती है | रमजान की 29 या 30 तारीख को चाँद दिखने पर अगले दिन ईद होती है। बिना चाँद देखे ईद नहीं मनाते है।
ईद उल अजहा कब मनाया जाता है?
बकरीद का त्यौहार इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के मुताबिक जिलहिज्जा के महीने में आता है। यह हिजरी संवत का 12 वां आखिरी महीना है। हज के दौरान मुस्लिम ईद उल अजहा के शुभ अवसर पर क़ुरबानी करते है। इस ईद की तारीख भी चाँद दिखने के बाद ही निश्चित होती है।
ईद क्यों मनाई जाती है?
ईद मनाने के पीछे का महत्व जानना जरुरी है। इस लेख में ईद उल फितर और ईद उल अजहा दोनों त्यौहार क्यों मनाये जाते है? आइये चर्चा करते है।
ईद उल फितर क्यों मनाई जाती है?
रमजान के पवित्र महीने में इस्लाम धर्म के मानने वाले पुरे महीने राजे रखते है। अल्लाह की इबादत करते है और कुरआन शरीफ की तिलावत करते है। मुस्लिम जकात (दान) भी इसी माह में देते है। रोजे और जकात का इनाम (अज्र) ईद के दिन ही मिलता है।
आसान शब्दों में कहे तो ईश्वर का शुक्रिया कहने के लिए ईद का त्यौहार मनाया जाता है। रमजान में की कई इबादत का इनाम ईद उल फितर के दिन अल्लाह देता है। इबादत अल्लाह काबुल करता है और इसी ख़ुशी का इजहार करने के लिए मुस्लिम ईद का त्यौहार मनाते है।
ईद उल अजहा क्यों मनाई जाती है?
इस्लाम के अनुसार बकरीद मनाने के पीछे हजरत इब्राहिम की सुन्नत है। हजरत इब्राहिम इस्लाम धर्म के एक महत्पूर्ण पैगंबर थे। एक दिन ख्वाब में उन्हें अल्लाह से आदेश आया की अपनी सबसे प्यारी चीज की क़ुरबानी दो। इसके बाद उन्हें बार बार यह ख्वाब आता रहा।
उन्होंने अल्लाह की इच्छा के मुताबिक अपनी सबसे प्यारी चीज (अपने बेटे इस्माइल) को कुर्बान करने की ठान ली। में आपको बता दू की इस्माइल कई सालों की मिन्नतों के बाद हजरत इब्राहिम की 90 वर्ष की आयु में पैदा हुये थे।
उन्हें इस्माइल बहुत अजीज (प्यारा) था। जब वक्त हुआ तो उन्होंने अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली और बेटे की क़ुरबानी देनी चाही लेकिन अल्लाह को कुछ और मंजूर था। अल्लाह ने बेटे इस्माइल की जगह दुम्बा (बकरा) भेज दिया और दुम्बे की क़ुरबानी हो गयी।
यह अल्लाह की तरफ से हरजत इब्राहिम की आजमाइस थी, जिसमे वो सफल रहे। इसके बाद कयामत तक अल्लाह ने क़ुरबानी को मुस्लिमों पर अनिवार्य कर दिया।
ईद का महत्व (Importance Of Eid Essay In Hindi)
इस्लाम धर्म में ईद का काफी महत्व है। इस दिन सभी लोग एक दुसरे से सादगी और भाईचारे से मिलते है। ईद उल फितर का दिन रमजान माह के बाद चाँद दिखने से अगले दिन शुरू होता है। मुस्लिम सुबह फज्र की नमाज पढ़कर ईद की मुख्य नमाज़ की तैयारियों में लग जाते है।
ईद की नमाज़ बेहद ख़ास होती है। नमाज़ से पहले मुस्लिम जकात और फितरा देते है। यह नमाज़ से पहले इसलिए दिया जाता है ताकि गरीब भी ईद की ख़ुशी मना सके। फितरा या जकात उन लोगो पर वाजिब है जिनके पास 52.50 तोला चांदी या 7.50 तोला सोना हो। या फिर इसकी वैल्यू के बराबर पैसा हो।
सुबह सब लोग नहा धोकर नये कपडे पहनते है और इत्र लगाते है। फिर एक साथ ग्रुप में ईद की मुख्य नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह जाते है। ईदगाह में ईद की नमाज़ पढ़ी जाती है और नमाज़ के बाद सब एक दुसरे से गले मिलते है और ईद की मुबारकबाद देते है।
ईद उल- अजहा के दिन नमाज के बाद मुस्लिम क़ुरबानी करते है जबकि ईद उल फितर के दिन लोग एक दूसरे के घरो में जानकर मीठे व्यंजन खाते है। इन व्यंजनों में सबसे ख़ास होती है ईद की मीठी खीर। इस दिन सिवइंया भी बनाई जाती है जो बहुत स्वादिष्ट होती है।
कई जगहों पर धार्मिक कार्यक्रम और मेलो का आयोजन भी होता है। ईद उल फितर का दिन बच्चों के लिए बड़ा ख़ास होता है क्यूंकि उन्हें बड़ों से ईदी (पैसा) मिलती है। मुस्लिम ईद के त्यौहार को बड़े ही उल्लास के साथ मनाते है। इस दिन सरकारी अवकाश भी रहता है।
यह तो हुई ईद के दिन की बात लेकिन ईद की तैयारियां कई दिनों पहले ही शुरू हो जाती है। सभी अपने लिए नए कपडे खरीदते है और घरो की साफ सफाई भी की जाती है। तो दोस्तों, इस तरह यह भाईचारे का ईद त्यौहार मनाया जाता है।
ईद से क्या सन्देश मिलता है?
ईद उल फितर त्यौहार से सन्देश मिलता है की सभी को मिल जुल कर भाईचारे से रहना चाहिए। एक दूसरे को माफ़ कर गले लग जाना चाहिए। ईद का त्यौहार सादगी और भाईचारा सिखाता है। ईद उल अजहा हमें त्याग सिखाता है।
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