इस पोस्ट Information About Flute In Hindi में बांसुरी की जानकारी (Bansuri In Hindi) दी गई है। भगवान श्रीकृष्ण को मुरलीधर भी कहते है। श्रीकृष्ण के बांसुरीवादन से गोपियां मंत्रमुग्ध हो जाया करती थी। बांसुरी प्राचीनकाल से ही मुख्य वाद्य यंत्रों में से रही है। लकड़ी से बनी बांसुरी की धुन मनमोहक होती है। अंग्रेजी भाषा में बांसुरी को “Flute” कहते है। बांसुरी के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारा यह आर्टिकल “Flute Information In Hindi” पूरा पढ़े।
बांसुरी की जानकारी Information About Flute In Hindi
1. बांसुरी (Flute) एक संगीत उपकरण है जो हवा के प्रवाह से ध्वनि उत्पन्न करता है। बांसुरी वाद्य यंत्र को बांस की लकड़ी से बनाया जाता है। बांस अंदर से खोखली होती है। बांस की बनी होने के कारण इसे बांसुरी कहते है। बांसुरी दो शब्दों से मिलकर बना है – बांस और सुर। बांसुरी को मुरली, वेणु, वंशी, फ्लूट इत्यादि नामों से जानते है।
2. वैसे आजकल फ्लूट को स्टील, चांदी, सोना इत्यादि से भी बनाते है। पुराने समय में जानवरों की हड्डियों या मिट्टी से भी बांसुरी बनाई जाती थी। प्रत्येक धातु से बनी बांसुरी की ध्वनि अलग होती है। यह ध्वनि उस बांसुरी की धातु की मोटाई पर निर्भर करती है।
3. बांसुरी बनाने के लिए बांस का उपयोग करते है। सबसे पहले बांसुरी के आकार का खोखला बांस लेते है। इसके अंदर से गांठो को हटाया जाता है। गांठो को पूर्णत साफ करने बाद उस पर 7, 9, 12 इत्यादि नम्बर्स में होल बनाये जाते है। ये होल इतने छोटे होते है कि उंगली भी इनके अंदर नही जा पाती है।
4. बांसुरी में तीन मुख्य भाग होते है। एक हेड जॉइंट होता है जिसे माउथपीस या मुख रंध्र भी कहते है। इस भाग में बांसुरीवादन के समय मुंह से हवा दी जाती है। दूसरा मुख्य भाग बॉडी और तीसरा भाग फुट जॉइंट कहलाता है। बांसुरी की बॉडी पर ही होल्स बने होते है जिन्हें स्वर रंध्र भी कहते है।
बांसुरी के बारे में जानकारी Bansuri In Hindi –
5. बांसुरी वादन के लिए उंगलियों का इस्तेमाल करते है। बांसुरी के एक सिरे को मुंह से फूंक मारी जाती है। बांसुरी के छिद्रों से धुन निकलती है। इस धुन को उंगलियों से छिद्र बंद करके बदला जाता है। बांसुरी की ध्वनि का कारण हवा की स्थिर धारा का बांसुरी में उत्पन्न कम्पन है। उंगलियों के दबाव से ध्वनि का पिच बदलता है। इस कारण विभिन्न प्रकार की ध्वनियां पैदा होती है।
6. बांसुरी (Flute) बजाने वाले को बांसुरीवादक कहते है। बांसुरी वादन दो प्रकार से किया जाता है। कुछ प्रकार की फ्लूट्स को उर्ध्वाधर पकड़ा जाता है। कॉन्सर्ट फ्लूट या बांसुरी को होरिजोंटल पकड़ते है। इस प्रकार की बांसुरी ट्रांसवर्स फ्लूट कहलाती है। यहां पर ट्रांसवर्स फ्लूट यानी कि बांसुरी की बात कर रहे है।
7. बांसुरी कई प्रकार की होती है। इनमें मुरली सबसे अधिक प्रसिद्ध है। मुरली में 7 छेद होते है। इन छिद्रों से सारेगामापाधानिसा के 7 स्वर निकलते है। भगवान कृष्ण भी मुरली वादन करके गौपालन करते थे। वेणु नामक बांसुरी में कुल 9 छेद होते है जबकि वंशी में 12 छेद होते है।
8. यूरोपीय फ्लूट भारतीय बांसुरी से भिन्न होती है। चीन, जापान, भारत और यूरोप की प्राचीन सभ्यताओं में बांसुरी का जिक्र मिलता है।
9. बांसुरी से निकला संगीत तीव्र और मधुर होता है। प्रत्येक प्रकार की बांसुरी का वादन भिन्न प्रकार से होता है। इनसे निकली धुन भी अलग होती है। इससे निकला संगीत भीतर मन को भी आकर्षित करता है। बांसुरी से पशु पक्षियों की नकल भी की जा सकती है।
Flute Information In Hindi –
10. इतिहास में आता है कि करीब 43000 वर्ष पूर्व बांसुरी अस्तित्व में आयी थी। यूरोप के स्लोवेनिया नामक जगह पर भालू की हड्डी से बनी बांसुरी खोजी गयी थी। वैसे कई इतिहासकार इससे सहमत नही है।
11. भारतीय पौराणिक लोककथाओं में आता है कि भगवान श्रीकृष्ण बांसुरी वादन करते थे। बांसुरी वादन के कारण उनके आसपास गोपियाँ मधुर धुन सुनती थी। पुराणों में आता है कि कृष्णजी को बांसुरी भगवान शिव ने दी थी। भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी बहुत प्यारी थी, वो हमेशा इसे बजाया करते थे। एलोरा की गुफाओं में भगवान कृष्ण के कई चित्रों में बांसुरी वादन की मुद्रा है।
12. भारतीय लोक संगीत में बांसुरी एक मुख्य वाद्य यंत्र है। प्राचीनकाल से ही लोक गीतों में बांसुरी वादन मिलता है। हिंदी सिनेमा के कई गानों में बांसुरी की धुनें मुख्य थी। पाश्चात्य संस्कृति में भी बांसुरी वादन महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
13. वर्तमान में पंडित हरिप्रसाद चौरसिया नामक संगीत विद्वान बांसुरी वादन के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
14. बांसुरी (Flute) वादन सीखना बहुत आसान है लेकिन इसमें सम्पूर्ण होना दुर्लभ है। बांसुरी के नॉट सीखने के लिए किसी भी बांसुरीवादक से ट्रेनिंग ली जा सकती है।
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