इस रोचक लेख What Is Magnet In Hindi में चुंबक क्या है? चुंबक की खोज (Chumbak Ki Khoj Kisne Ki?) व चुंबक के गुण के बारे में जानकारी दी गयी है। चुंबक का उपयोग लोहे की वस्तुओं को खींचने में होता है। यह लौह वस्तुओं को अपनी और आकर्षित करती है। “चुंबक की खोज” भी रोचक जानकारी अपने में समेटे हुए है।
चुंबक को अंग्रेजी में मैग्नेट भी कहते है। चुंबक का इतिहास भी तथ्यों में रोचकता लिए हुए है। चुंबक क्या है? और चुंबक के गुण (Properties Of Magnet In Hindi) के बारे में भी इस पोस्ट में आगे जानने का प्रयास करेंगे।
चुंबक क्या है – What Is Magnet In Hindi
वह प्रदार्थ जो लौह तत्व को अपनी और आकर्षित करता है, चुंबक (Magnet) कहलाता है। जो प्रदार्थ चुम्बकीय गुणों को प्रदर्शित करते है वो चुंबक कहलाते है। लोहे के पास चुम्बक ले जाने पर लोहा इससे चिपक जाता है। चुंबक लौह ऑक्साइड (Fe2O3) से बना होता है।
चुंबक के गुणों के आधार पर प्रदार्थों को चुम्बकीय या अचुम्बकीय कहते है। जो प्रदार्थ Magnet से आकर्षित होते है, उन्हें चुम्बकीय और जो आकर्षित नही होते है, अचुम्बकीय कहलाते है। चुम्बकीय प्रदार्थों में लौह तत्व, निकल इत्यादि आते है। अचुम्बकीय प्रदार्थो में रबर, प्लास्टिक, लकड़ी, कागज, चांदी इत्यादि आते है।
चुंबक की खोज किसने की Chumbak Ki Khoj Kisne Ki
आज से लगभग 800 ईसा पूर्व करीब 4000 साल पहले चुंबक की खोज हुई थी। एशिया महाद्वीप के मेग्नेशिया नामक जगह पर चुंबक (Magnet) की खोज हुई थी। एक चरवाहे को प्राकृतिक चुम्बक के टुकड़े मिले थे। चुंबक के ये टुकड़े उसके कील लगे जूतों से चिपक गए थे। वहां के निवासियों को यह आश्चर्यजनक लगा और उन्होंने इसे देवता का प्रदार्थ माना था। शुरू में इस प्रदार्थ का नाम मैग्नेटाइट रखा गया था लेकिन बाद में इसका नाम केवल Magnet रख दिया गया।
चुम्बकीय गुणों का अध्ययन सर्वप्रथम ब्रिटिश भौतिकविद विलियम गिल्बर्ट ने किया था। इन्हें ही पहले कृत्रिम चुम्बक का आविष्कार करने का श्रेय प्राप्त है। गिल्बर्ट ने पृथ्वी को भी एक विशाल चुंबक की संज्ञा दी थी। दुनिया की प्रथम विद्युत चुम्बक का आविष्कार ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम स्टर्जन ने किया था। उन्होंने लोहे की रॉड को U शेप में मोड़कर उसपर तार लपेटा था। विद्युत धारा प्रवाहित करके छड़ में चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न हुआ था।
चुंबक के गुण (Properties Of Magnet In Hindi)
- चुंबक (Magnet) के मुख्य गुणों में इनके ध्रुवों का आकर्षण है। चुम्बक में नार्थ N और साउथ S दो ध्रुव होते है।
- अगर दो चुंबक को पास में लाते है तो इनमें आकर्षण या प्रतिकर्षण दो क्रियाएं होगी। अगर चुम्बक के समान ध्रुवों को पास लाते है तो प्रतिकर्षण क्रिया होगी जिसमें चुंबक एक दूसरे से दूर जाएंगे। चुंबक के विपरीत ध्रुवों को पास लाने पर आकर्षण होता है। दोनों चुंबक पास आकर चिपक जाती है।
- अगर चुंबक को किसी लौहे से रगड़ते है तो कुछ समय के लिए लौहे में चुम्बकीय गुण आ जाते है।
- चुंबक को स्वतंत्रतापूर्वक लटकाते है तो इसका एक सिरा नार्थ N में होगा और दूसरा साउथ S की तरफ होगा। जो सिरा नार्थ में है वो नार्थ ध्रुव और साउथ वाला सिरा साउथ ध्रुव कहलाता है।
- दो चुंबक या किसी चुम्बक के पास लौह तत्व लाने पर उसके आस पास चुम्बकीय क्षेत्र बनता है। जितनी पॉवरफुल चुम्बक होगी, उतना ही शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र बनता है।
- चुंबक को ऊंचाई से गिराने, गर्म करने या पीटने पर वह अपना चुम्बकत्त्व खो देता है। अगर चुम्बक को तोड़ दिया जाए तो प्रत्येक टूटा हुआ भाग चुंबक के गुण रखता है।
चुंबक के प्रकार (Types Of Magnet)
Magnet In Hindi – चुंबक को उनकी प्राप्ति के आधार पर दो भागों में बांट सकते है –
प्राकृतिक चुंबक और कृत्रिम चुंबक
- प्राकृतिक चुंबक (Natural Magnet) – इस चुम्बक को खदानों से खुदाई में प्राप्त करते है।
- कृत्रिम चुंबक (Artificial Magnet) – कृत्रिम चुम्बक मानव द्वारा निर्मित होता है।
चुम्बकीय गुण के अनुसार चुंबक मुख्यतः दो प्रकार की होती है – ये चुंबक मानव निर्मित है। स्थायी चुंबक और अस्थायी चुंबक ।
- स्थायी चुंबक (Permanent Magnet) – यह चुंबक हमेशा के लिए चुम्बकीय गुण रखती है। इसका चुम्बकीय गुण कभी भी खत्म नही होता है। स्थायी चुंबक को निकल, लोहा, कोबाल्ट तत्वों से बनाते है।
- अस्थायी चुंबक (Temporary Magnet) – इस प्रकार की चुम्बक में चुम्बकीय गुण तब तक रहते है जब तक उस पर चुम्बकीय बल रहता है। मैग्नेटिक फ़ोर्स हटाने पर प्रदार्थ से चुंबक का गुण निकल जाता है। लौहे की कोर या रॉड पर तांबे की तार लपेट कर विद्युत धारा का प्रवाह करके अस्थायी चुंबक बनाते है। इन्हें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक भी कहते है।
चुंबक के उपयोग – Uses Of Chumbak In Hindi
- टेप, रेडियो या टेलिविज़न जैसे उपकरणों में आवाज के लिए चुंबक इस्तेमाल की जाती है।
- किसी भी प्रकार के स्पीकर में चुंबक होती है।
- चुंबक का उपयोग दिशा का ज्ञान करने में भी किया जाता है। चुम्बक की सुई पृथ्वी के नार्थ और दक्षिण दिशा को बताती है।
- आपके एटीएम कार्ड या क्रेडिट कार्ड पर भी एक चुम्बकीय पट्टी होती है।
- लाउडस्पीकर में भी चुंबक का उपयोग किया जाता है।
- चुम्बक का उपयोग भारी या हल्के लौह तत्वों को उठाने में भी करते है।
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