इस लेख Essay On Indian Farmer In Hindi में भारतीय किसान पर निबंध हिंदी में दिया गया है। किसान कृषि का एक अहम हिस्सा है जिसके बिना कृषि सम्भव नही है। धरती की गोद से लहराती हुई फसल किसान की मेहनत का परिणाम है। भारत देश कृषि पर आधारित है जिसकी अर्थव्यवस्था इसी पर निर्भर है। भारत के किसान खेत में अन्न उगाकर देश के लोगो का पेट भरते है।
तो मित्रों, आइये किसान का महत्व पर निबंध की जानकारी “Bhartiya Kisan Par Nibandh In Hindi” में आगे जानने का प्रयास करते है।
जय जवान जय किसान – लाल बहादुर शास्त्री
भारतीय किसान पर निबंध – Essay On Indian Farmer In Hindi
भारत देश महान है क्योंकि इस देश के किसान महान है। भारत की महानता का सबूत भारत के किसान देते है जो देश की भूख को मिटाने के लिए अन्न का उत्पादन करते है। इसलिए किसान को अन्नदाता भी कहते है। भारत देश को कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है। इसका कारण देश का मुख्य व्यवसाय खेती है। भारत के ज्यादातर लोग किसान या मजदूर है।
यह भी एक सत्य है कि भारत गांवों में बसता है। किसान वर्ग का एक बड़ा तबका गांव में ही रहता है। इनकी आमदनी का एकमात्र जरिया खेती है। हालांकि कुछ किसान पशुपालन भी करते है लेकिन मुख्य जरिया कृषि ही है। अन्नदाता किसान की हालत आज के समय में बहुत ही गम्भीर है। ऐसा नही है कि भारत के सभी इलाकों के किसान बदहाल है लेकिन वो इलाके जहां खेती केवल बारिश पर ही निर्भर है, वहां के किसानों की हालत चिंताजनक है।
भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है क्योंकि ज्यादातर भारतीय कृषि व्यवसाय से जुड़े हुए है। ऐसा मान लीजिए कि अगर भारत का किसान खुश है तो भारत का हर नागरिक खुश रहेगा, अगर किसान दुखी है तो इसका प्रभाव सभी लोगो पर पड़ता है। किसान अन्न, सब्जियां, फल की खेती करता है। अकाल या बाढ़ का दंश सबसे पहले किसान को ही झेलना पड़ता है। बारिश ना हो तो फसलों को पानी नही मिलता और कृषि प्रभावित होती है।
भारतीय किसान की समस्या पर निबंध (Bhartiya Kisan Par Nibandh In Hindi
Essay On Indian Farmer In Hindi – बारिश ना होने से अकाल का प्रभाव सम्पूर्ण इलाके पर होता है। किसान फसल नहीं होने के कारण दुखी होता है। भारत के ज्यादातर किसान गरीब है। किसान कृषि के लिए बैंक या महाजनों से लोन लेता है। कृषि प्रभावित होने पर वह लोन नही चुका पाता और पाई पाई का मोहताज हो जाता है। ऐसी विकट परिस्थिति आने पर किसान गलत कदम भी उठा लेता है। आये दिन अखबारों या न्यूज़ चैनलों पर किसानों की आत्महत्या की खबरें आप देखते ही है।
किसानों की आत्महत्या नई खबर नही है। यह आजादी से पहले भी थी और आजादी के बाद भी ऐसी स्थिति मौजूद है। “विगत कुछ वर्षों में आत्महत्या के मामलों में बढ़ौतरी हुई है”। ऐसा वक्तव्य देश की मीडिया हर वर्ष कहती आ रही है। इसका कारण देश के कुछ इलाको का सूखे से प्रभावित होना है। अन्य कारणों में खेती के लिए लिया गया ऋण होता है। देश के महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के कई इलाके सूखे की चपेट में है। इन राज्यों के किसान खेती ना होने के कारण खाली बैठे है।
किसानों को खेती के अलावा और कोई काम भी नही आता है। यह भी एक बड़ा कारण है कि किसान अपने परिवार का भरण पोषण नही कर पाता है। तनाव में आकर आत्महत्या का विचार करता है। किसानों को रोजगार के अन्य साधन देने की जरूरत है।
मेहनत करके पसीना बहाकर किसान खेत जोतता है। गरीब किसान बेलों के जरिये हल चलाकर जमीन का सीना चीरता है। तेज धूप हो या कड़क सर्दी, किसान के जज्बे के आगे ये सब बेकार है। दिनभर मेहनत करके बीज बोता है और फिर बारिश का इंतजार करता है।
किसान का महत्व की जानकारी Indian Farmer Importance
Essay On Indian Farmer In Hindi – भारत की ज्यादातर खेती बारिश पर निर्भर है। गरीब किसान के पास ना तो बोरवेल होती है और ना ही कुँवा। अकाल की हालत में तो कुँवा भी सुख जाता है। खेतों की सिंचाई के लिए पानी का इंतजाम अमूमन बारिश से ही होता है। भारत देश के कुछ इलाकों में नहरों से सिंचाई होती है। इस कारण उन इलाकों के किसान खुशहाल है। कम बारिश वाले इलाकों में किसान बदहाल है क्योंकि कृषि केवल बारिश पर निर्भर है। बारिश हो तो खुशहाली और ना हो तो बदहाल किसान।
खेती में बर्बाद किसान गांव और कृषि छोड़ने को मजबूर है। किसान खेती करना छोड़कर आजीविका कमाने के लिए शहर चले जाते है। भारत का अन्नदाता किसानी छोड़कर शहर में मजदूरी करने को विवश है। जो किसान बदहाली के बाद भी कृषि नही छोड़ते वो आत्महत्या करके दुनिया छोड़ देते है।
किसान का बेटा किसान नही बनकर दूसरा पेशा अपना रहा है। यह एक बहुत ही गंभीर समस्या है। अगर इस समस्या पर और ध्यान नही दिया गया तो भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव होंगे। देश की खाद्यान्य जरूरत कैसे पूरी होगी?
अच्छी फसल होने के बाद भी किसान इसी चिंता में रहता है कि उसे फसल का उचित मूल्य मिले। किसान की मेहनत खेती तक ही नही है, असली परीक्षा समय पर फसल कटाई की है। कई बार लहराती हुई फसल को काटने का समय आने पर बारिश आ जाती है। यह बारिश उस वक्त किसान की मेहनत पर पानी फेरती है। इसलिए किसान का कार्य समय पर फसल को काटकर मंडी तक ले जाना होता है।
भारतीय किसान की फसल
मंडी जाने पर किसान को फसल का उचित मूल्य भी मिलना जरूरी है। कई बार किसान को फसल की लागत का मूल्य भी नही मिल पाता है। बिचौलिए भी किसान के हक का पैसा मार लेते है। किसान के बीज बोने से लेकर मंडी में फसल बेचने तक उसकी मेहनत रहती है। उसके बाद ही घर चलाने के लिए धन आता है।
किसान को खेती के लिए खाद और बीज की आवश्यकता होती है। इसलिए किसान वर्ग पशुपालन भी करता है। इससे पशुओं का गोबर खाद का काम करता है। किसान खाद बीज की दुकान से भी खाद खरीदता है। खेतों में खाद डालना भी जरूरी है क्योंकि इससे कृषि भूमि की उवर्कता बढ़ती है। फसल बोने के लिए बीज की आवश्यकता भी होती है। खाद बीज भंडार पर उचित फसल के लिए बीज उपलब्ध हो जाते है। भारत की राज्य सरकारें किसानों के लिए उचित दामों पर खाद बीज का प्रबंध करती है।
देश के कुछ किसान खेती में सम्पन्न है। इन किसानों के पास टैक्टर और सिंचाई की उचित व्यवस्था होती है। परन्तु सत्य यह है कि भारत का ज्यादातर किसान वर्ग गरीब है। उसे कृषि पैदावार बढ़ाने की तकनीकें भी नही पता है। वो टैक्टर या सिंचाई के साधनों को नही खरीद पाता है। खाद बीज खरीदने के लिए भी गरीब किसान साहूकार से ऋण लेता है।
किसान के लिए भारत सरकार के प्रयास (Essay On Indian Farmer In Hindi)
Essay On Indian Farmer In Hindi – भारत सरकार समय समय पर किसान की समस्या पर बजट लाती है। कई सरकारों ने किसानों के लोन भी माफ किये है। राज्य सरकारें किसानों को कम ब्याज पर लोन देती है। लोन का फायदा पढ़ा लिखा और संपन्न किसान ज्यादा उठा रहा है। भारत सरकार “किसान सम्मान निधि योजना” के अंतर्गत किसानों को उनके खाते में पैसा डाल रही है। यह भी एक अच्छा कदम है लेकिन समस्या का निदान नही है।
गरीब किसान अधिक ब्याजदर पर लोन साहूकारों से लेता है। भारत सरकार ने किसानों की समस्या को हल करने के लिए किसान चैनल भी शुरू किया है। इस पर कृषि से संबंधित खबरें दिखाई जाती है लेकिन फिर भी कोई कारगर उपाय नही हो पाया है। अंग्रेजी हुकूमत की गुलामी में लगान के नीचे दबा गरीब किसान आज भी आत्महत्या करने को मजबूर है। इसका जिम्मेदार कौन है?
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