इस पोस्ट Great Indian Bustard In Hindi Information में राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण (Godawan Pakshi) के बारे में जानकारी दी गई है। गोडावण पक्षी की रोचक जानकारी गोडावण पक्षी मूलतः राजस्थान का निवासी है। गोडावण शुतुरमुर्ग की भांति बड़ा होता है। राजस्थान के शुष्क मैदानों में मुख्यत पाया जाने वाला यह पक्षी बड़ा ही रोचक है। गोडावण को अंग्रेजी में “Great Indian Bustard” भी कहते है। इस पक्षी की रोचक जानकारी देने का प्रयास इस पोस्ट “गोडावण पक्षी” में है।
गोडावण पक्षी की जानकारी Great Indian Bustard In Hindi
1. गोडावण पक्षी (Great Indian Bustard In Hindi) भारत देश के राजस्थान राज्य के पश्चिमी इलाके में मुख्यतः पाया जाता है। भारत के अलावा पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी गोडावण मिलता है। बहुत समय पहले ये पक्षी उत्तर, मध्य और दक्षिण भारत में कई जगह पाये जाते थे। परंतु अत्यधिक शिकार और अनदेखी के चलते विलुप्त होने की कगार पर है।
2. यह एक बड़े आकार का वजनी पक्षी है। गोडावण विश्व का सबसे वजनी उड़ने वाला पक्षी है। गोडावण का वजन करीब 18 किलोग्राम तक होता है। यह पक्षी तेज दौड़ने में भी माहिर होता है।
3. गोडावण भूरे रंग का पक्षी है जबकि पंख काले या स्लेट रंग के होते है। गोडावण के सर पर काले रंग का धब्बा होता है। इसकी गर्दन आगे से सफेद रंग की होती है। इस पक्षी की लंबाई लगभग 40 इंच के बराबर होती है। इसकी गर्दन और टांगे लम्बी होती है।
4. नर और मादा सोन गोडावण में विशेष अंतर नही होता है। दोनों की अलग पहचान उनके सर पर मौजूद काले धब्बे से की जाती है। इस काले धब्बे को क्राउन भी कहते है। मादा गोडावण के सर पर काले रंग का धब्बा नर की तुलना में छोटा होता है। मादा की गर्दन का रंग नर की तुलना में कम सफेद होता है।
5. गोडावण को वर्ष 1981 से राजस्थान का राज्य पक्षी भी घोषित किया हुआ है। इसे सोन चिड़िया भी कहा जाता है। इस नाम के अलावा राजस्थान में इसे हुकना भी कहा जाता है। क्योंकि डरने पर यह हुक हुक आवाज निकालता है।
6. गोडावण पक्षी का निवास स्थान शुष्क घास के मैदान है। चरागाहों में यह पक्षी रहता है। बिना पानी के भी यह कई दिनों तक रह सकता है। यही कारण है कि गोडावण शुष्क परिस्थितियों में अनुकूलित होता है।
राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण Godawan Pakshi In Hindi
7. गोडावण एक सर्वाहारी पक्षी है जो शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन खाता है। गेंहू, बाजरा जैसे अनाज और छिपकली, कीट, टिड्डा जैसे जानवर भी इसका मुख्य भोजन है। इनके अलावा बीज, बैर इत्यादि भी गोडावण के भोजन में शामिल है।
8. गोडावण का घोंसला जमीन पर नीचे ही बना होता है। प्रजनन के वक्त मादा गोडावण एक ही अंडा देती है। मादा ही अंडों को बच्चा होने तक सेहने का काम करती है। शिकारी जानवरों से अंडों की रक्षा और बच्चों की परवरिश का जिम्मा मादा का ही होता है।
9. एक समय गोडावण को राष्ट्रीय पक्षी भी बनाया जाने वाला था। परंतु बाद में मोर को राष्ट्रीय पक्षी बनाया गया था। इसका कारण इस पक्षी के नाम “Bustard” का गलत उच्चारण था।
10. अत्यधिक शिकार के चलते गोडावण संख्या में बहुत कम बचे हुए है। बिजली के तारों में उलझकर और करंट से भी इस पक्षी की मौत हो जाती है। इसके शिकारी जानवरों में सियार, कुत्ते इत्यादि आते है। लोमड़ी, कौवा जैसे प्राणी गोडावण के अंडे खाते है।
11. राष्ट्रीय मरु उद्यान, राजस्थान में गोडावण पक्षी को संरक्षित किया हुआ है। इस मरु उद्यान में करीब 150 गोडावण पक्षियों को संरक्षण मिला हुआ है।
12. IUCN के संकटग्रस्त पक्षियों में गोडावण का नाम भी आता है। यह पक्षी विलुप्ति की कगार पर है। भारत देश में गोडावण की सुरक्षा के लिए कानूनी संरक्षण मिला हुआ है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में गोडावण को शामिल किया गया है।
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