टिड्डी को “Grasshopper” भी कहते है। टिड्डी कीट आमतौर पर फसलों पर हमला करते है। इसे टिड्डी दल का हमला (Locust attack) भी कहा जाता है। इस कीट को किसान का दुश्मन भी कहते है। टिड्डी लाखों की तादात में आकर फसलों को नुकसान पंहुचाते है। टिड्डी कीट को अंग्रेजी में “locust” कहते है। यह पोस्ट Locust In Hindi Information टिड्डी के बारे में जानकारी पर आधारित है।
टिड्डी की सामान्य जानकारी Locust Information In Hindi
1. टिड्डी कीट (Locust Insect) की विश्वभर में कई प्रजातियां मिलती है। टिड्डी “Grasshopper” कीट का ही एक जाति है। टिड्डी कीट एशिया, यूरोप, अफ्रीका महाद्वीप में मुख्यत पाये जाते है।
2. रेगिस्तान में मिलने वाली टिड्डी भारत में आने वाली मुख्य प्रजाति है। इस टिड्डी को रेगिस्तानी टिड्डी कहते है। यह अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान से ईरान और पाकिस्तान होकर भारत के पंजाब राज्य में आती है। भारत में मिलने वाली अन्य प्रजातियों में बॉम्बे टिड्डी, वृक्ष टिड्डी, प्रवाजक टिड्डा प्रमुख है।
3. रॉकी माउंटेन टिड्डी अमेरिका में पायी जाती थी। अब यह प्रजाति विलुप्त हो चुकी है। वर्ष 1874 में इस कीट ने अमेरिका में लाखों की फसल खराब की थी।
4. वयस्क टिड्डी के उड़ने की क्षमता अधिक होती है। ये कीट अधिक दूरी तक बिना रुके उड़ सकते है। इनकी रफ्तार इतनी तेज होती है कि टिड्डी एक दिन में करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है।
5. टिड्डी कीट (Locust Insect) की लंबाई आधा सेंटीमीटर से 7 सेंटीमीटर तक होती है। टिड्डी झुंड में हमला करती है और टिड्डियों का झुंड कई किलोमीटर फैला होता है जिसमें अरबों की संख्या में टिड्डे होते है।
टिड्डी कीट का जीवन चक्र life Cycle Of Locust Insect In Hindi
6. टिड्डी कीट की life Cycle में प्यूपा स्टेज नही होती है। इसके जीवन चक्र में केवल तीन स्टेज अंडा, निम्फ और वयस्क होती है। मादा टिड्डी एक बार में करीब 50 से 100 अंडे देती है। टिड्डी का जन्म के समय रंग गुलाबी होता है जबकि वयस्क होने पर पिला या भूरा हो जाता है। वैसे ऐसा सभी टिड्डी प्रजातियों के साथ नहीं होता है।
7. टिड्डे का शरीर मुख्यत तीन भागों माथा (Head), गर्दन (Thorax) और पेट (Abdomen) में बांटा गया है। एक वयस्क टिड्डा के माथे पर एंटीना होता है जिससे उन्हें सूंघने और महसूस करने की शक्ति मिलती है। माथे पर ही उनकी बड़ी आंखे होती है।
8. टिड्डी का मुख्य भोजन पौधे और घास होती है। यह कीट झुंड में आकर पौधों और घास को खा जाते है। यह कीट प्रजाति पत्तों, फूल, बीज, घास इत्यादि को खाती है।
9. टिड्डी कीट (Locust In Hindi) आमतौर पर एकांत पसंद होता है। ये आपस में कोई भी सम्पर्क नही रखते है लेकिन कुछ परिस्थितियों (आंधी या बारिश) के कारण टिड्डी आपस में संपर्क में आते है। सम्पर्क में आने के बाद टिड्डी झुंड या दल बना लेता है। टिड्डी के झुंड में करोडों या कहे तो अरबों कीट होते है।
10. इन कीटों के पास आने का एक वैज्ञानिक कारण है। टिड्डी के तंत्रिका तंत्र में सेरोटोनिन नामक हार्मोन उत्सर्जित होता है। जब ये कीट आपस में रगड़ खाते है, तब यह हार्मोन इन्हें पास लाता है।
11. टिड्डी फसलों और हरे पौधों पर झुंड में हमला करके उसे खा जाती है। इस कीट का एक सामान्य दल एक दिन में करीब 35 हजार लोगों का खाना चट कर सकता है। इसलिये यह कीट खतरनाक होता है, खासकर किसानों का दुश्मन है।
टिड्डी दल का हमला Locust attack
12. भारत में कई बार टिड्डियों का हमला हुआ है। हर बार हमले में करोड़ों के खाद्यान्य का नुकसान होता है। खासकर उत्तर और मध्य भारत में यह फसलों को नुकसान करती है। भारत के अलावा अफ्रीका, यूरोप महाद्वीप में भी टिड्डियों का कहर होता है।
13. टिड्डी की कुछ प्रजाति प्रवासी कीट भी है जो अमुमन हर साल ईरान, पाकिस्तान के रास्ते भारत आती है। यह कीट हजारों किलोमीटर का रास्ता तय कर लेता है। रास्ते में जहां भी फसलें दिखती है, उन्हें टिड्डी खा जाते है।
14. यह कीट मच्छरों की तरह इंसानों को काटते नही है। इसलिये इंसानों को इससे कोई खतरा नही होता है। परंतु ये फसलों को खाते है जिससे इंसानों का भोजन प्रभावित होता है।
15. टिड्डी दल का हमला रोकने के लिए किसान लोग हमेशा उपाय करते है। टिड्डियों से बचने के मुख्य उपायों में एक धुंआ करना है। धुंआ करके टिड्डियों का ध्यान बांटा जाता है। तेज आवाज करके भी इनको भगाया जा सकता है। कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करके भी इनसे निपटा जा सकता है।
16. टिड्डा कीट (Locust) का जीवनकाल करीब 3 माह का होता है। कुछ टिड्डे कीट इससे भी ज्यादा जी लेते है।
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