दहेज प्रथा पर निबंध Essay On Dahej Pratha In Hindi: वर्तमान में भारत एक विकासशील देश है जहाँ पर बेटा और बेटियों को एक समान माना जाता है। इस आधुनिक और खुले विचार वाले युग में “दहेज प्रथा (Dowry System In Hindi)” एक अभिशाप के समान है। भारत में आज भी दहेज प्रथा अपना पैर फैलाए हुए है।
बेटी के जन्म लेते ही ज्यादातर लोगों को इस बात की चिंता नही होती कि उसका पालन पोषण कैसे करंगे? बल्कि उनको इस बात की चिंता होती है कि अपनी लाडली बेटी का विवाह कैसे करेंगे ? विवाह में मांगे गए दहेज की व्यवस्था कैसे करेंगे? दहेज प्रथा पर निबंध (Dahej Pratha Par Nibandh) में इसके कारण, प्रभाव और उपाय पर चर्चा करेंगे।
दहेज प्रथा पर निबंध Essay On Dahej Pratha In Hindi –
भारत में कन्या भ्रूण हत्या मामलों में काफी कमी आयी है। इसके पीछे का मुख्य कारण सख्त कानून और सामाजिक जागरूकता है। दहेज प्रथा भारतीय समाज मे एक अभिशाप की तरह है। यह प्रथा भारतीय समाज में कलंक की तरह है जो लगातार बढ़ रही है। यह प्रथा हमारे देश मे कोढ़ की तरह फैल चुकी है जिसकी जड़ें इतनी मजबूत हो चुकी है कि इसने अमीर गरीब सभी लोगों को अपने चुंगल में फसा लिया है। इस प्रथा के गम्भीर परिणाम भी है जिनमें दहेज के लिए बहुओं की जान भी ले ली जाती है। दहेज को कुप्रथा कहना ज्यादा उचित होगा।
दहेज प्रथा के खिलाफ भारत में कई कानून बनाये गए है परंतु समाज की रूढ़िवादी सोच के कारण अभी तक दहेज प्रथा में कोई कमी नही आई है। शिक्षित युवा वर्ग भी दहेज की मांग करने लगे है। दहेज का सांप इतना बड़ा है कि वर जितना पढ़ा लिखा होगा, दहेज भी उसी हिसाब से तय होता है। अगर लड़का सरकारी पद पर है तो फिर कहना ही क्या? तो लड़के वाले ज्यादा से ज्यादा दहेज की मांग की मांग करते है।
दहेज प्रथा क्या है Dowry System Kya Hai –
शादी के समय वधु पक्ष के द्वारा वर पक्ष को दी जाने वाली कोई भी महँगी वस्तु जैसे सोना – चांदी, घर का समान, गाड़ी, जमीन या फिर नगद रुपये, ये सभी दहेज के अंतर्गत आते है। लड़की और लड़के के परिवार के बीच होने वाले इसी लेन देन को “दहेज” कहाँ जाता है। दहेज लेने की यह कुप्रथा सदियों से चली आ रही है।
पुराने जमाने में यह माना जाता था कि लड़की का अपने पिता या पूर्वजों की चल और अचल संपत्ति पर कोई अधिकार नही होता है। इसलिये जब लड़की का विवाह होता तो उसे नगदी, सोना चांदी और अन्य कीमती वस्तुए देने की प्रथा प्रचलित हो गयी। इसके पीछे का कारण यह था कि लड़की को ग्रहस्थ जीवन में कोई परेशानी ना हो। इसलिए दहेज जैसी कुप्रथा का जन्म हुआ। समाज में इस प्रथा का कुप्रभाव इतना ज्यादा हुआ कि दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप बन गई।
दहेज़ प्रथा एक अभिशाप पर निबंध Dahej Pratha Par Nibandh In Hindi –
Essay On Dahej Pratha In Hindi – दहेज लेना और देना समाज में गर्व का विषय बन चुका है। लड़की का अमीर पिता समाज में अपना रुतबा दिखाने के लिए दहेज देता है। जबकि गरीब पिता के पास बेटी को देने के लिए कुछ भी नही होता है। सामाजिक दायरे में रहने के कारण वह कैसे भी करके दहेज देता है। दहेज प्रथा ने समाज को इतना खोखला कर दिया है कि लोग सोचते है कि अगर मैंने दहेज नही दिया तो समाज में मेरी इज्जत कम हो जाएगी। इसी सोच के कारण लड़के वाले लड़की वालों से ज्यादा से ज्यादा दहेज की मांग करते है।
समाज में कुछ लोग तो ऐसे भी है जो सिर्फ दहेज के लिए ही शादी करते है। अगर कोई मन मुताबिक दहेज नही दे पाता है तो वे विवाह रिश्ता तक तोड़ देते है। दहेज प्रथा पर समाज में दो तरह की सोच है – एक सोच दहेज की निंदा करती है तो दूसरी सोच इसे सही बताती है। दोनों के अपने तर्क है लेकिन गलत तो गलत ही है। दहेज लेना और देना भारतीय समाज में एक रिवाज बन गया है।
दहेज़ प्रथा निबंध हिंदी में (Essay On Dahej Pratha In Hindi) –
दहेज प्रथा ने भारतीय समाज में लालच का उग्र रूप ले लिया है। इस प्रथा के चक्कर में दुल्हन के वैवाहिक जीवन पर सामाजिक, मानसिक, और शारीरिक रूप से बुरा प्रभाव पड़ता है। दहेज प्रथा के बुरे परिणाम को सोच कर ही किसी की भी रूह कांप सकती है। क्योंकि मन मुताबिक दहेज ना मिलने के कारण ससुराल में लड़की को तंग किया जाता है। अखबारों और न्यूज़ चैनलों पर आए दिन दहेज के लिए दुल्हन की हत्या तक कि खबरें आती रहती है।
दहेज प्रथा की जड़े समाज में इतनी गहरी हो चुकी है कि कई परिवार सिर्फ दहेज के लालच में आकर अपने बच्चों की शादी करवा देते है। फिर चाहे लड़का और लड़की एक दूसरे को ना समझ पाए। लड़की का परिवार ससुराल पक्ष की मांगो को पूरी नही कर पाता तो वहां दहेज के लिए लड़की को परेशान किया जाता है। आये दिन होने वाली घरेलू हिंसा इस बात का सबूत है।
Dowry System Essay In Hindi दहेज़ प्रथा –
दहेज प्रथा के दुष्परिणाम से हम सभी भली भांति वाकिफ है परंतु फिर भी हम दहेज प्रथा को बढ़ावा दे रहे है। समाज के पढ़े लिखे लोग भी इसके विरुद्ध आवाज नही उठाते है। अगर कोई युवा दहेज नही लेता है तो समाज में उसके खिलाफ कई तरह की बाते होने लगती है मजबूरन उसे भी दहेज लेना पड़ता है। कई लोग दहेज देने को मजबूरी समझते है। कुछ लोग दहेज देने को अपनी शान मानते है। दहेज अपनी इच्छा के मुताबिक देना समस्या उतनी बड़ी नही है। उससे बड़ी समस्या यह है कि लोग आगे होकर दहेज की मांग करते है।
पुराने समय में दहेज उपहार होता था लेकिन आज दहेज वर पक्ष की और से विशेष मांग बन चुका है। दहेज विवाह के लिए जरूरी शर्त बन गया है जिसे मानने पर ही विवाह होता है। दहेज की मांग पूरी ना होने पर लड़की को परेशान किया जाता है और तलाक तक कि नौबत आ जाती है।
दहेज प्रथा के कारण भारत के कई राज्यो में लड़का और लड़की का लिंगानुपात भी बिगड़ गया है। क्योंकि कई लोग बेटियों को बोझ समझते है जिससे भ्रूण हत्या होती है। वो सोचते है कि बेटी के विवाह के समय मोटा दहेज देना होगा। इसलिए दहेज प्रथा को खत्म करना जरूरी है। दहेज प्रथा के कारण महिलाओं का शौषण बढ़ा है।
दहेज़ प्रथा का निवारण और उपाय Dahej Pratha –
Essay On Dahej Pratha In Hindi – भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कानून बना रखे है। परंतु समाज और सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही के कारण कानून का सही से पालन नही हो पाता है। समाज मे दहेज प्रथा की पकड़ मजबूत होने के कारण यह समस्या एकदम खत्म नही हो सकती। इसके लिए सरकार और जनता दोनो को मिलकर कार्य करना होगा। दहेज प्रथा को खत्म करने में भारत के शिक्षित युवा को अहम भूमिका निभानी होगी।
दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। शिक्षा के अभाव के कारण ही यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। लोगों को समाज से पहले अपनी बेटी के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के नारे ओर बुलंद करे और अपनी बेटी को शिक्षित बनाये ताकि वो समाज की बुराइयों के खिलाफ खुद लड़ सके। ससुराल में लड़की को बहु ना मानकर बेटी माने तो सारी समस्याएं दूर हो जाएगी।
यह एक सामाजिक सोच है जिसमें बदलाव लाना जरूरी है। दहेज एक सामाजिक बुराई है जिसे समाज ही दूर कर सकता है। भारत में कई हिस्सों में दहेज लेने और देने पर सामाजिक प्रतिबंध भी है। दहेज प्रथा को रोकने के लिए वर और वधु दोनों को प्रण लेना होगा। वधु को चाहिए कि वह ऐसे घर में शादी ना करे जो दहेज की विशेष मांग करते हो। वर को भी विवाह के लिए दहेज नही लेने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए।
हमें रूढ़िवादी सोच से हटकर सोचना होगा कि हम पवित्र विवाह कर रहे है या बिज़नेस। दहेज प्रथा पर निबंध (Essay On Dahej Pratha In Hindi) के विषय में आपके विचार सर्वोपरी है।
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