वास्तु शास्त्र क्या है? (What Is Vastu Shastra In Hindi), वास्तु शास्त्र के Tips और वास्तु दिशाओं के बारे में जानकारी इस लेख में दी गयी है। दोस्तों, वास्तु शास्त्र शुभ अशुभ पर आधारित एक सिद्दांत है जिसमें किसी भी वस्तु की दिशा और भूमि को बताया जाता है। यह मकान की किसी भी समस्या के कारण और उससे निपटने के निवारण को बताता है। तो आइये दोस्तों, Vastu Shastra क्या है? जानने का प्रयास करते है।
वास्तु शास्त्र क्या है – What Is Vastu Shastra In Hindi
वास्तु भवन निर्माण और आंतरिक वस्तुओं को व्यवस्थित करने की प्राचीन विधा है। वस्तुओं को व्यवस्थित करने से मतलब घर की भीतरी साज सज्जा से है। वास्तु का अर्थ “वस्तु” से है जबकि शास्त्र विधा या ग्रंथ को कहते है। “वास्तुशास्त्र” का अर्थ हुआ “वस्तु का ग्रन्थ” अर्थात वस्तु से संबंधित विधा।
Vastu Shastra का मतलब है कि भवन निर्माण में इस्तेमाल होने वाले नियम। इन नियमों से यह पता लगाया जाता है कि घर में वस्तुएं कहा और किस दिशा में रखना शुभ रहता है। वास्तु में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि वस्तु के लिए दिशा सही हो। दूसरी तरह से कहे तो वास्तुशास्त्र में दिशाओं का सही ज्ञान है।
पृथ्वी पर मौजूद 5 तत्वों अग्नि, वायु, पृथ्वी, आकाश और जल का प्रभाव मनुष्य पर पड़ता है। मनुष्य का शरीर भी पंचतत्व से मिलकर ही बना होता है। इन तत्वों का संतुलन बनाये रखना जरूरी है। वास्तु शास्त्र में इन्ही तत्वों का संतुलन रखने के नियम है।
Vastu Shastra अथर्ववेद के स्थापत्य वेद से आया है। ऋग्वेद में भी वास्तु शास्त्र का उल्लेख मिलता है। जापान, कोरिया जैसे देशों में इस्तेमाल की जाने वाली विधा फेंगशुई भी एक तरह का वास्तुशास्त्र ही है।
वास्तु शास्त्र में सबसे महत्वपूर्ण दिशा (Direction) है जो भवन या किसी भी वस्तु की होती है। सही दिशा घर में सुख समृद्धि लाती है जबकि गलत दिशा जीवन में कठिनाइयां भर देती है। घर में वास्तु दोष नही होने पर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
वास्तुशास्त्र में दिशाओं का महत्व
आठ दिशाएं Vastu Shastra में अहम होती है। इन आठ दिशाओं के नाम और महत्व आगे इस लेख में दिये गये है। वैसे मूल रूप से केवल चार दिशाएं ही होती है लेकिन इन चार दिशाओं से 4 कोण भी बनते है जिन्हें विदिशा कहा जाता है। इस तरह से कुल दिशाओं की संख्या 8 होती है। आकाश और पाताल भी दो अन्य दिशाएं है परन्तु यहां पर इनकी बात नही करेंगे।
उत्तर दिशा (North) – कुबेर उत्तर दिशा के स्वामी है। अतः ऐसा माना जाता है कि इस दिशा से धन लाभ होता है। उत्तर दिशा को खुली रखना शुभ माना जाता है। घर का प्रवेश द्वार अगर उत्तर दिशा में है तो यह बेहद शुभ होता है।
दक्षिण दिशा (South) – यम इस दिशा के स्वामी है। इस दिशा को बंद रखना सही रहता है। धन को रखने के लिए तिजोरी भी इसी डायरेक्शन में रहे तो वास्तु ठीक रहता है। घर का दक्षिणी भाग हमेशा ऊंचा रहना चाहिए। घर का प्रवेश द्वार इस दिशा में नही होना चाहिए।
पूर्व दिशा (East) – इंद्र इस दिशा का राजा है। पूर्व को सबसे महत्वपूर्ण दिशा माना जाता है क्योंकि सूर्योदय इसी और से होता है। भवन में पूर्व दिशा खुली होना शुभ माना जाता है। इसलिये घर का मुख्य दरवाजा इसी और रहे तो अच्छा है। पूर्व दिशा मुख वाले घर भाग्यशाली माने जाते है।
पश्चिम दिशा (West) – वरुण इस दिशा का राजा है। पश्चिम सूर्यास्त की दिशा है, इसलिए इस दिशा की तरफ होकर सोना अशुभ माना जाता है। अगर घर का मुख्य द्वार पश्चिम की और मुख किये हुए है तो वास्तु शास्त्र में इसे अशुभ कहते है। घर का टॉइलट पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
उत्तर पूर्व दिशा (North – East) – भगवान शंकर इस दिशा के स्वामी है। उत्तर पूर्व दिशा के अलावा इसे ईशान कोण भी कहा जाता है। घर का बरामदा इसी दिशा में होना बेहतर माना जाता है। जलघर ईशान कोण में होना शुभ रहता है।
उत्तर पश्चिम दिशा (North – West) – इस दिशा को वायव्य कोण भी कहा जाता है। नाम से ही स्पष्ट है कि वायव्य कोण उत्तर और पश्चिम दिशा से मिलकर बनता है। पवन देव इस दिशा के स्वामी है। इस दिशा में रसोईघर भी बनाया जा सकता है।
दक्षिण पूर्व दिशा (South – East) – इस दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है। अग्नि देव आग्नेय कोण के स्वामी है। इस दिशा में किचन होना श्रेस्ठ माना जाता है क्योंकि गैस, चूल्हा आग्नेय दिशा में रहे तो अच्छा है।
दक्षिण पश्चिम दिशा (South – West) – नैऋत्य कोण इस दिशा को कहते है। यह दिशा बन्द होनी चाहिए। कोई भी दरवाजा या खिड़की नैत्रत्य दिशा में नही होना चाहिए। राहु केतु इस दिशा के स्वामी है। धन और ज्वैलरी के लिए तिजोरी इस दिशा में रखे तो बेहतर है।
Vastu Shastra में इन आठों दिशाओं का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता रहती है। इसलिए मकान बनाने से लेकर वस्तुओं को भवन में व्यवस्थित करने तक इन सभी दिशाओं के नियम पालन करना जरूरी है।
वास्तुशास्त्र में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (Vastu Shastra Tips In Hindi)
1. घर का निर्माण करते वक्त मुख्य द्वार, शयनकक्ष (Bedroom) और भोजनालय (Kitchen) की दिशा सबसे महत्वपूर्ण होती है। इसलिए इनकी दिशा वास्तु के मुताबिक ही होनी चाहिए।
2. मकान की खिड़कियां, शयनकक्ष, स्नानघर, आलमारी इत्यादि की दिशा वास्तुशास्त्र के अनुरूप ही होनी चाहिए। दक्षिण दिशा में भवन की खिड़कियां या मुख्य दरवाजा नही होना चाहिए।
3. भवन निर्माण के वक्त हमेशा यह ध्यान रखे कि मुख्यद्वार कभी भी दक्षिण दिशा में नही होना चाहिए। Vastu Shastra के अनुसार ऐसे घरों में नकारात्मक ऊर्जा रहती है।
4. घर के महत्वपूर्ण हिस्से सही दिशा में होने जरूरी है। गलत दिशा का चुनाव करने पर वास्तु दोष रहता है। इससे घर में परेशानियों का आना बना रहता है।
5. घर बनाने से पूर्व नक्शा बनाया जाता है। अतः नक्शे में वास्तुशास्त्र का विशेष ध्यान रहे। घर में दिशा सही होगी तो सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहेगा।
6. भवन का रंग वास्तु के मुताबिक होना चाहिए। प्रत्येक रंग का अपना एक वास्तु शास्त्र का मतलब होता है। घर के दरवाजों और खिड़कियों पर गहरा रंग श्रेस्ठ रहता है। घर की मुख्य दीवारों पर हल्का रंग पेंट करवाना चाहिए।
7. वास्तु शास्त्र में कछुआ बहुत शुभ माना जाता है। कहते है कि घर में कछुआ रखने से सुख समृद्धि आती है। इसके घर में रहने से पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है। अगर कछुआ नही पाल सकते तो कछुए की प्रतिमा भी चलेगी।
दोस्तों, अगर आप वास्तु में विश्वास करते हो तो आपका आचरण और व्यवहार Vastu Shastra के अनुसार ही रहना चाहिए। घर में मौजूद सभी भौतिक वस्तुओं को सही दिशा में करें। वास्तुशास्त्र पर यकीन करना या नही करना, यह आप पर निर्भर है।
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मुख्य द्वार तो चारों दिशा में होता है तो कृपया चारों दिशा में मैन द्वार के बारे में जानकारी दे.
That is a nice explanation of vastu shastra.