एक विचार – संसार में चार दिशाएँ …. Inspirational Thought In Hindi
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समय प्रवाहमान है. समय की भौतिक संग्या स्पष्ट नहीं होने के बावजूद यह सर्वव्यापी है. लोग कहते हैं कि समय गुजरता है. अर्थात यह कहीं से आया है और कहीं जा रहा है. समझने की बात है कि मनुष्य कब से है और समय कब से है? एक मनुष्य का सौ साल तक जीते रहना मुश्किल होता है, लेकिन समय अनंत काल से है, जिसे मनुष्य ने सहस्राब्दि, सदी, दशक, वर्ष, माह, सप्ताह, दिवस में विभाजित कर रखा है. अर्थात मनुष्य समझता है कि वह स्थिर है, उसके सामने समय बह रहा है. यह जड़ता का परिणाम है, क्योंकि मनुष्य जड़-चेतन का अद्भुत संगम है. चेतना पर जड़ता हावी रहने से मनुष्य समय के साथ तालमेल नहीं बैठा पाता. उसे कई सही चीजें उलटी दिखने लगती है.