पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार क्या है Types Of Pollution In Hindi

इस पोस्ट Types Of Pollution In Hindi में पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Pradushan Types In Hindi) पर जानकारी है। प्रदूषण हमारी धरती की एक गम्भीर समस्या है। इस समस्या का निवारण अगर जल्दी ही नही किया गया तो हमारी यह खूबसूरत धरती इंसानों के रहने लायक नही रहेगी। प्रदूषण मुक्त पृथ्वी बनाने के लिए हम इंसानों को ही उपयोगी कदम उठाने होंगे। इस आर्टिकल “Pollution Types In Hindi” में पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं? इन दिनों प्रश्नों का ही उत्तर जानने का प्रयास करेंगे।

Types Of Pollution In Hindi

पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं?

पर्यावरण में दूषित प्रदार्थों के कारण पैदा हुए असंतुलन को प्रदूषण (Pollution) कहते है। पर्यावरण में प्राकृतिक संसाधन आते है जिनके दूषित होने पर पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है। प्राकृतिक संसाधनों में पानी, हवा, मिट्टी मुख्य रूप से आते है। मनुष्य की पृथ्वी विरोधी गतिविधियों के कारण पर्यावरण के इन संसाधनों पर संकट उत्पन्न होता है। मानवीय गतिविधियों के कारण हवा, पानी और मिट्टी प्रदूषित हो रहे है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण मनुष्य और जीव जंतुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

पृथ्वी मनुष्य का सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एकमात्र घर है जहां वो रह सकता है। परंतु लालची इंसान पर्यावरण की चिंता नही करता है। वह लगातार इसे प्रदूषित करने में लगा हुआ है। सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और खाने के लिए भोजन शुद्ध नही है। आधुनिकता की दौड़ में हमारी प्यारी धरती दूषित हो रही है।

आपने जाना की पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं?, अब पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Types Of Pollution In Hindi) की बात करेंगे।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार – Types Of Pollution In Hindi

मुख्यतः पर्यावरण प्रदूषण 4 प्रकार (Pollution Types In Hindi) का होता है।

1. वायु प्रदूषण (Air Pollution)

हवा में बढ़ते प्रदूषण के चलते सांस लेना मुश्किल हो गया है। ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट के कारण वायुमंडल में हानिकारक ज़हरीली गैस कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। हमारे वायुमंडल में गैसों का संतुलन है जिनमें सभी गैसों की निश्चित मात्रा है परंतु वायु प्रदूषण के कारण CO2 में व्रद्धि हुई है। वायु में जहरीली गैस और धूल जैसे प्रदूषकों की बढ़ौतरी वायु प्रदूषण कहलाता है।

वायु प्रदूषण के कारण –

फैक्टरियों और औधोगिक इकाइयों से निकली प्रदूषित गैसे वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है। बढ़ते औधोगिकरण के कारण वर्तमान में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। वाहनों से निकला प्रदूषित धुँवा भी वायु प्रदूषण का एक कारण है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव –

प्रदूषण के कारण वायु सांस लेने योग्य नही रहती है। इससे दमा, आंखों में जलन जैसी बीमारी आम हो जाती है। मनुष्य ही नही जीव जंतुओं में भी कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती है। प्रदूषण के कारण कोहरा होता है जिससे सड़को पर दुर्घटनाएं बढ़ जाती है। वायु प्रदूषण के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव पड़ता है। हमारी पृथ्वी की सुरक्षा कवच ओजोन परत को भी नुकसान होता है। वायु प्रदूषण से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ती है।

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय –

वायु प्रदूषण रोकने के मुख्य उपायों में सामाजिक जागरूकता है। हमें लोगो को वायु प्रदूषण से होने वाले खतरों से सचेत करना होगा। फैक्टरी से निकलने वाली गैसों का उचित निस्तारण करना होगा। वृक्षारोपण भी इसका एक कारगर उपाय है।

2. जल प्रदूषण (Water Pollution) – Types Of Pollution In Hindi

शुद्ध जल में प्रदूषकों की उपस्थिति के कारण जल प्रदूषित हो जाता है। जल पीने और नहाने योग्य नही रहता है। प्रदूषित जल से कई बीमारियां होने की संभावना होती है।

जल प्रदूषण के कारण –

फैक्टरियों से निकला प्रदूषित रसायन और कचरा जल प्रदूषण करता है। घरेलू कचरा गंदगी को नदियों और तालाबों में फेंक दिया जाता है। इससे भी प्रदूषण होता है। मल मूत्र, शरीर की गंदगी को तालाबों में बहा दिया जाता है जिससे भी जल प्रदूषण होता है। पानी के जहाजों से रिसने वाले ऑयल से भी जल प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव –

पानी प्रदूषित होने से पानी पीने योग्य नही रहता है। नहाने पर चर्म रोग हो जाते है। जलीय जीवों को भी नुकसान पहुंचता है। प्रदूषण से जल पेड़ पौधों को भी नुकसान देता है। जल प्रदूषण के कारण नदियां, तालाब शुद्ध नही रहे है।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय –

फैक्टरियों से निकले रसायनों पर रोक लगनी चाहिए। कल कारखानो को नदियों और तालाबो से दूर स्थापित करना चाहिए। घरेलू अपशिष्ट प्रदार्थो को नदियों में नही डालना चाहिए। जल प्रदूषण को रोकने का सबसे बढ़िया उपाय शिक्षा और सामाजिक जागरूकता है।

3. मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

कृषि योग्य उपजाऊ मिट्टी में प्रदूषक बढ़ने से मृदा प्रदूषित हो जाती है। इससे भूमि कृषि योग्य नही रहती और फसलों को नुकसान होता है। मृदा के रासायनिक संगठनों में परिवर्तन हो जाता है। मृदा का प्रदूषित होना ही मृदा प्रदूषण कहलाता है।

मृदा प्रदूषण के कारण –

इस प्रकार के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण रासायनिक खादों का अत्यधिक इस्तेमाल है। फसलों पर कीटनाशक दवाओं का अत्यधिक छिड़काव होने से भी मृदा प्रदूषित होती है। पानी के साथ बहकर आने वाले हानिकारक रासायनिक तत्व भी मृदा प्रदूषण का बड़ा कारण है। प्लास्टिक बैग का उचित निस्तारण नही होने से वो भूमि में दब जाते है। प्लास्टिक के कारण भी भूमि प्रदूषण होता है।

मृदा प्रदूषण के प्रभाव –

इस प्रदूषण के कारण मृदा उपजाऊ नही रहती है। मृदा प्रदूषण से भूमि कृषि योग्य नही रहती है। इस दूषित मिट्टी में उगे खाद्य पदार्थों से गम्भीर बीमारियां होती है।

मृदा प्रदूषण रोकने के उपाय –

मृदा प्रदूषण रोकने का सबसे बेहतर उपाय रासायनिक खाद के इस्तेमाल पर रोक लगाना है। कीटनाशकों का छिड़काव भी कम होना चाहिए। गोबर को खाद के रूप में अपनाने से भी प्रदूषण कम होता है। सामाजिक जागरूकता और प्रदूषण की हानियों पर शिक्षा देने से भी मृदा प्रदूषण को रोका जा सकता है।

4. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) – Types Of Pollution In Hindi

जब आवाज शोर में बदल जाती है तब ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि की एक निश्चित तीव्रता होती है जिस पर कानों से आसानी से सुना जा सकता है। इससे तीव्रता से अधिक ध्वनि सुनने योग्य नही रहती है। यही ध्वनि प्रदूषण कहलाता है।

ध्वनि प्रदूषण के प्रकार – वाहन जनित ध्वनि प्रदूषण, औधोगिक ध्वनि प्रदूषण, मनुष्य जनित ध्वनि प्रदूषण, प्राकृतिक ध्वनि प्रदूषण (भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट)

ध्वनि प्रदूषण के कारण –

किसी भी प्रकार का अप्रिय शोर ध्वनि प्रदूषण का कारण होता है। कल कारखानों की मशीनों से निकली तेज आवाज, वाहनों के हॉर्न की आवाज, लाउडस्पीकर की आवाज, वायुयानों की आवाज इत्यादि के कारण ध्वनि प्रदूषण होता है।

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव –

इस प्रकार के प्रदूषण से कानों की सुनने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। ज्यादा वक्त तक तेज आवाज में रहने पर बहरापन होने की संभावना होती है। मनुष्य में मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ता है।

ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय –

ध्वनि प्रदूषण रोकने का सबसे कारगर उपाय शोर को कम करना है। आवाज की तीव्रता नियंत्रण में रखी जाए तो शोर कम किया जा सकता है। वाहनों में तेज हॉर्न बजाने पर रोक लगने से भी ध्वनि प्रदूषण रुक सकता है। मशीनरी से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकना चाहिए। अंत में सामाजिक जागरूकता और शिक्षा भी इसके बेहतर उपायों में से एक है।

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वनों के प्रकार

Note – इस पोस्ट Types Of Pollution In Hindi में पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Pradushan Ke Prakar In Hindi) पर जानकारी आपको कैसी लगी। यह आर्टिकल “पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं” अच्छा लगा हो तो इसे शेयर भी करे।

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