इंसानियत का दूसरा नाम परोपकार है। अगर एक इंसान दूसरे इंसान की निस्वार्थ भाव से मदद करता है, तो यही परोपकार (Philanthropy) कहलाता है। परोपकार मनुष्य होने का गुण है। माता पिता बच्चों में परोपकार की भावना विकसित करना चाहते है। उनके लिए परोपकार पर निबंध लेखन यहां पर संक्षिप्त में देने का पूरा प्रयास है। Essay On Paropkar In Hindi में परोपकार पर निबंध और परोपकार का महत्व पर पैराग्राफ लेखन है।
बच्चों के लिए परोपकार पर निबंध एक बेहतर अनुभव होगा। तो आइए मित्रों, परोपकार पर निबंध पैराग्राफ (Paropkar Paragraph In Hindi) लिखने का प्रयास करते है।
परोपकार पर निबंध – Essay On Paropkar In Hindi
जीव दया दिखाना प्रत्येक मनुष्य का धर्म है। परोपकार भी मनुष्य धर्म का ही एक हिस्सा है। परोपकार का अर्थ उपकार करना होता है। जरूरतमंद की हर सम्भव सहायता करना ही परोपकार है। सामान्य शब्दों में कहे तो दान करना ही परोपकार है। परोपकार करने वाला परोपकारी होता है। “परोपकार” दो शब्दों “पर” और “उपकार” से मिलकर बना है। “पर” का अर्थ दूसरों का जबकि “उपकार” का अर्थ मदद करना होता है। अर्थात दूसरों की मदद करना ही परोपकार (Philanthropy) है।
परोपकार की भावना दया और करुणा से आती है। अगर मनुष्य में दूसरों के प्रति दया है तो वह मनुष्य परोपकारी होता है। परोपकारी होना एक सज्जन पुरुष की निशानी है। मानव कल्याण की सोच रखने वाला मनुष्य परोपकारी होता है। परोपकारी व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है जिस कारण वह निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों की सेवा करता है।
मनुष्य कर्तव्य का निर्वाह ही परोपकार है। ईश्वर भी उसकी सहायता करते है जो दूसरों की सहायता करते है। परोपकार दिखाकर शत्रु के ह्रदय को भी आपके प्रति कोमल किया जा सकता है। परोपकार में शक्ति होती है। एक आदर्श जीवन में परोपकार की भावना होनी चाहिए। परोपकार करने पर परम् आनंद की अनुभूति होती है। जो सुख दूसरों की भलाई करने में है वो कही नही है।
परिवार में कोई दुखी होता है तो आप उसकी मदद करते है। यह पूरी दुनिया आपका परिवार है और आप इस परिवार का हिस्सा है। परिवार पर मुसीबत आने पर मदद करना हम मनुष्यों का दायित्व है। “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना प्रत्येक मनुष्य में होनी चाहिए। समस्त संसार परिवार के समान है। जीवन सार्थक तभी होता है जब जीवन दूसरों की भलाई में खर्च होता है।
परोपकार का महत्व – Importance Of Paropkar In Hindi
परोपकारी सत्पुरुष हमेशा दूसरों की मदद करते है। मदद करके भूल जाना ही महानता की निशानी है। महान पुरूष किसी गरीब की मदद करके भूल जाते है। इन महापुरुषों पर एक कहावत चरितार्थ होती है “नेकी कर दरिया में डाल”। किसी की मदद करके कभी भी जताना नही चाहिए। किसी जरूरतमंद की मदद करके आप कोई अहसान नही करते है। यह मनुष्य का मनुष्य के प्रति कर्तव्य है।
परोपकार की भावना ईश्वर ने प्रकति में भी दी है। प्रकृति की मूल भावना ही परोपकार है। अनन्तकाल से प्रकति हमें फल, भोजन, हवा, पानी इत्यादि दे रही है। परन्तु कभी अहसान नही जताया क्योंकि यह उसका कर्तव्य है। इसलिए परोपकार कर्तव्य है। प्रकृति निस्वार्थ भाव से मनुष्य की सेवा करती है। ठीक इसी तरह से प्रत्येक मनुष्य को दूसरों की सेवा करनी चाहिए।
ईश्वर ने अगर आपको धन से सम्पन्न किया है तो इंसानियत की राह में खर्च करना आपका फर्ज है। अगर आप ताकतवर है तो कमजोर की रक्षा करना आपका कर्तव्य है। मनुष्य जीवन का अर्थ ही परोपकार है। ईश्वर की प्राप्ति मानव सेवा से ही होती है।
परोपकार दिखाने से क्या लाभ होगा? कुछ लोगों के मन में यह प्रश्न भी आता होगा। लेकिन दोस्तों, परोपकार में लाभ की आशा नही करनी चाहिए। जहां लोभ लालच आता है वहां परोपकार नही होता है। परोपकारी मनुष्य के ह्रदय में लाभ की आशा नही होती है। परंतु मित्रों, ईश्वर सब देख रहा है। वही आपको परोपकार के बदले लाभ देगा। परोपकार गुण आपको समाज में इज्जत और सम्मान देता है।
परोपकार पर निबंध लेखन हिंदी में
मनुष्य को संकीर्ण मानसिकता से उबरना होगा तभी वह परोपकारी बन सकता है। संकीर्ण सोच वाला इंसान स्वयं की भलाई की सोचता है। इसलिए संकीर्ण सोच का त्याग करना चाहिए। स्वार्थी लोग दूसरों की मदद करने की बजाय उनका अहित करते है। ऐसे लोग ना समाज में सम्मान पाते है और ना ही ईश्वर उन्हें सम्मान देता है। खुले हाथों से परोपकार करना चाहिए। यही मानव जीवन है जो ईश्वर ने दिया है।
इतिहास में कई महान संत हुए है जिन्होंने परोपकार की मिसाल कायम की है। उन महापुरुषों का ह्रदय दया से परिपूर्ण था। छत्रपति शिवाजी महाराज हो या फिर महात्मा गांधी सभी महापुरुषों ने दूसरों की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित किया था। महापुरुषों ने परोपकार करने के लिए अपने प्राणों की भी आहुति दी थी।
समाजसेवी सन्त मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन दीन दुखियों की सेवा में लगा दिया था। राजा शिवि ने कबूतर को बचाने के लिए अपने शरीर से मांस काटकर बांज को खिला दिया था। भगत सिंह, राजगुरु, चन्द्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान किया था। दोस्तों इतिहास में परोपकार करने वाले महान लोगों की कमी नही है। ऐसे ही महान लोगों की तरह आप भी महान बन सकते है। परोपकार वह गुण है जो इंसान को महान बनाता है।
किसी को दुखी देखकर अगर आप दुखी होते है। अगर आपके मन में दया और सहानुभूति की भावना प्रबल हो जाती है। तो यही परोपकार है। भूखे को खाना देना, नंगे को कपड़े देना,बेघर को छत देना, निर्धन को धन देना, परोपकार ही है।
परोपकार पर पैराग्राफ – Paropkar Paragraph In Hindi
परोपकार की भावना पर मैथलीशरण गुप्तजी की कविता कुछ पद याद आ रहे है।
“यही पशु प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।”
यहां पर मैथलीशरण गुप्तजी ने मनुष्य और पशु में अंतर बताया है। सच्चा मनुष्य वही है जो दूसरे मनुष्य की मदद करता है। अगर कोई मनुष्य दया और परोपकार नही रखता है तो वह पशु समान है।
हर मनुष्य महर्षि दाधीच नही होता जिन्होंने इंसानियत की भलाई के लिए अपनी हड्डियों का दान कर दिया था। इसलिए हर मनुष्य परोपकारी नही होता है। दुनिया में ऐसे भी मनुष्य है जो केवल स्वंय का हित साधते है। ऐसे लोगो को स्वार्थी कहना सही रहेगा। परोपकारी होना बहुत आसान है बस आपको मनुष्य कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वाह करना है। मानव जीवन परोपकार को समर्पित रहना चाहिए। प्राणी मात्र पर दया ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।
दुनिया में परोपकारी लोगों की कमी नही है। मुक्त शिक्षा के लिए विद्यालय, मुक्त इलाज के लिए अस्पताल जैसे कई काम परोपकारी व्यक्ति करते है। हर धर्म मे परोपकार के महत्व की प्रशंसा की गई है। मनुष्य का चरित्र परोपकार से अमर हो जाता है। परोपकारी लोगों को इतिहास में हमेशा याद रखा जाता है। वह जीवन, जीवन नही जो दूसरों के काम ना आये। वही जीवन सार्थक है जो दूसरों के लिए जिया जाए।
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