मेरा विद्यालय पर निबंध (Vidyalaya Par Nibandh) पर यह पोस्ट Essay On School In Hindi आधारित है।विद्यालय पर निबंध प्रतियोगिता अक्सर स्कूली बच्चों को दी जाती है। विद्यालय को अंग्रेजी में स्कूल और उर्दू में मदरसा भी कहते है। विद्यालय को पाठशाला भी कहते है। विद्या के इस मंदिर में देश का भविष्य तैयार होते है। तो आइये दोस्तों, मेरा विद्यालय पर निबंध (My School Essay In Hindi) लेखन का प्रयास करते है।
विद्यालय पर निबंध Essay On School In Hindi
विद्या मंदिर में ज्ञान हासिल किया जाता है। बच्चें विद्यालय में पढ़कर आगे की मंजिल तय करते है। छात्रों का चरित्र निर्माण विद्यालय में ही होता है। शिष्टाचार की सीख बच्चे स्कूल के वातावरण में ही ग्रहण करते है। अनुशाशन का पाठ बच्चा स्कूल में ही सीखता है। माँ के आंचल से निकलकर बच्चा विद्यालय में प्रवेश करता है जहां उसे जीवन का मार्गदर्शन और दुनिया के हर क्षेत्र की शिक्षा मिलती है। स्कूल में शिक्षक बच्चों को ज्ञान का दर्शन देते है। बच्चों का बेहतर भविष्य एक अच्छा शिक्षक ही बनाता है। सुबह की शीतलता में सरस्वती मां की वंदना से विद्या के मंदिर में शिक्षा की शुरुआत होती है।
विद्यालय में कक्षा नर्सरी से 12 वीं तक कि पढ़ाई होती है। कक्षा नर्सरी से 5 वीं तक के विद्यालय प्राथमिक स्कूल कहलाते है। कक्षा 10 वीं तक के स्कूल माध्यमिक विद्यालय की श्रेणी में आते है। जिस विद्यालय में कक्षा 12 तक पढ़ाई होती है, वह उच्च माध्यमिक विद्यालय कहलाता है।
विद्यालय सरकारी और निजी दो तरह के होते है। सरकारी विद्यालय में पढ़ाई कक्षा 1 से शुरू होती है जबकि निजी विद्यालय में पढ़ाई नर्सरी से शुरू होती है। सरकारी विद्यालय में पढ़ाई निजी स्कूलों से बहुत सस्ती है। निजी स्कूल पढ़ाई के नाम पर मोटी फीस वसूल करते है। सरकार की और से लड़कियों को फ्री शिक्षा दी जाती है। कई सरकारी विद्यालय केवल छात्राओं के लिए होते है।
सरकारी स्कूल में पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए होनहार स्टूडेंट्स को साईकल, स्कूटी, लैपटॉप वितरण किया जाता है। सरकारी विद्यालयों में छात्रों को फ्री किताबें भी दी जाती है। प्रत्येक स्कूल की एक यूनिफॉर्म होती है जिसे पहनकर स्टूडेंट पढ़ाई करने आते है। सप्ताह में एक दिन गुरुवार को यूनिफॉर्म ना पहनने की छूट होती है।
विद्यालय का महत्व पर निबंध (Vidyalaya Par Nibandh) –
Essay On School In Hindi – स्कूल की प्रत्येक कक्षा में अलग अलग विषयों की पढ़ाई होती है। 10 वीं तक के मुख्य विषयों में विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, सामाजिक, हिंदी और तृतीय भाषा (राज्य के मुताबिक सँस्कृत, उर्दू, गुजराती इत्यादि) होती है। 10 वीं के बाद मुख्य विषयों का चुनाव होता है जो आपके कैरियर के लिए आवश्यक है। इनमें आर्ट्स, साइंस, कॉमर्स इत्यादि विषय आते है।
विद्यालय में अलग अलग विषय के अध्यापक होते है। कोई हिंदी विषय पढ़ाता है, तो कोई विज्ञान पढ़ाता है। प्रत्येक विषय के लिए अमूमन 30 मिनट की समय सीमा होती है। वैसे स्कूल मैनेजमेंट पढ़ाई की समय सीमा निश्चित करता है। स्कूल की प्रत्येक कक्षा में एक कक्षा अध्यापक भी होता है जो बच्चों की अटेंडेंस लेता है। प्राथमिक स्कूल में प्रधानाध्यापक होता है तो उच्च माध्यमिक स्कूल में प्रधानाचार्य होता है। स्कूल के स्टाफ में शिक्षकों के अलावा चपरासी भी होता है जिसका काम घण्टी बजाना और स्कूल की साफ सफाई का ख्याल रखना है।
सरकारी हो या निजी प्रत्येक स्कूल में पढ़ाई दो सत्र में होती है। दिन की पढ़ाई के बीच 30 मिनट का इंटरवल होता है। इस दौरान बच्चे अपना टिफिन बॉक्स खोलते है और भोजन का आनन्द लेते है। सरकारी स्कूल में भोजन भी मिड डे मील के रूप में सरकार की और से दिया जाता है।
स्कूल पर निबंध Importance Of School In Hindi –
Essay On School In Hindi – विद्यालयों में अक्सर किसी जयंती या त्योहार पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते है। इन कार्यक्रमों में बाल दिवस, गांधी जयंती, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस जैसे विभिन्न कार्यक्रम उत्सव के रूप में मनाये जाते है। अन्य कई प्रकार की प्रतियोगिता भी स्कूल में होती रहती है। इनमें निबंध प्रतियोगिता, नृत्य प्रतियोगिता, गायन, नाटक मंचन जैसी कई कार्यक्रम स्कूलों में होते है।
स्कूल में पढ़ाई के लिए कमरे बने होते है जिनमें छात्रों के बैठने की उचित व्यवस्था होती है। प्रबंधन के हिसाब से दरी पट्टी या टेबल कुर्सी होती है। प्रत्येक कक्ष में एक ब्लैकबोर्ड होता है जिस पर शिक्षक चौक से लिखकर बच्चों को पढ़ाता है। इनके अलावा एक प्रधानाचार्य का कक्ष भी होता है। स्कूल में कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है और इसके लिए कंप्यूटर शाला होती है।
उच्च माध्यमिक स्कूल में प्रायोगिक पढ़ाई के लिए लैबोरिटी भी होती है। विद्यालय में एक पुस्तकालय भी होता है जहां पर छात्रों को पढ़ाई से सबंधित किताबें मिलती है। विधालय में बच्चों के लिए पीने के पानी की भी उचित व्यवस्था होती है। नित्य क्रिया के लिए आवश्यक शौचालय भी स्कूल के प्रांगण में होता है।
School Par Nibandh – School Essay In Hindi –
विद्यालय में एक खेल मैदान भी होता है। जहां कब्बड्डी, खो खो, क्रिकेट जैसे खेल होते है। खेल मैदान में व्यायाम टीचर व्यायाम भी करवाता है। स्कूल में हर साल बच्चों के लिए NCC कैम्प भी लगते है। इन कैंपो में छात्र मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत होते है। विधालय में वातावरण शांत और निर्मल होता है जिसकी आगोश में छात्र ज्ञान का रसपान करते है। जीवन में सफलता और असफलता दोनों की शुरुआत स्कूल से ही होती है। छात्र कभी फेल तो कभी पास होता है लेकिन इससे उसमें योग्यता का संचार होता है।
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