यह पोस्ट Socrates In Hindi महान विचारक और दार्शनिक सुकरात की जीवनी (Sukrat Biography In Hindi) के बारे में है। सुकरात प्राचीन ग्रीस के महान दार्शनिक विचारों के व्यक्ति थे। सुकरात को पाश्चात्य दर्शन का जनक कहा जाता है। सुकरात की जीवनी (Socrates Biography In Hindi) और इतिहास इस पोस्ट में बताने का प्रयास है।
मूर्ख व्यक्ति केवल खाने पीने के लिए जीते है जबकि बुद्धिमान व्यक्ति जीने के लिए खाते पीते है। – सुकरात
सुकरात की जीवनी – Socrates Biography In Hindi
सुकरात (Socrates) का जन्म 470 ईसा पूर्व एथेन्स, ग्रीस में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सोफरोनिसकस था जो एक मूर्तिकार थे। माँ का नाम फेनरेट था। सुकरात ने एन्थिपे नामक महिला से विवाह भी किया था। उनका वैवाहिक जीवन कभी भी सुखी नही रहा। सुकरात की पत्नी हमेशा उनसे झगड़ा करती रहती थी।
दार्शनिक सुकरात का उनकी पत्नी से एक किस्सा भी जुड़ा हुआ है। एक बार एक शिष्य उनके पास आया और पूछा कि “उन्हें शादी करनी चाहिए या नही”। सुकरात ने विवाह करने के लिए कहा। इस पर शिष्य ने कहा कि “आपकी पत्नी झगड़ालू है और उसने आपका जीवन खराब किया हुआ है। फिर भी आप मुझे शादी करने की सलाह दे रहे है”।
शिष्य की इस बात पर सुकरात ने कहा कि “यदि तुम्हे अच्छी पत्नी मिलती है तो तुम्हारा जीवन सुधर जायेगा। तुम खुश रहोगे तो उन्नति करोगे। यदि तुम्हे मेरी पत्नी जैसी मिलती है तो तुम मेरी तरह दार्शनिक बन जाओगे। किसी भी परिस्थिति में तुम्हारा विवाह करना अच्छा ही है”।
सुकरात ने प्राचीन ग्रीस में मिलने वाली शिक्षा भी ग्रहण की थी। उन्होंने ज्योमिति, गणित जैसे विषयों की शिक्षा ली थी। शुरुआत में सुकरात पिता का पुश्तेनी धंधे में हाथ बटाया करते थे।
दार्शनिक सुकरात का इतिहास और जीवनी – Sukrat In Hindi
इतिहास में सुकरात (Socrates) के जीवन के बारे में अत्यधिक जानकारी नही है। सुकरात के बारे में उनके शिष्य प्लेटो और जेनोफोन से जानने को मिलता है। सुकरात सहनशील प्रवर्ति के थे और कभी भी गुस्सा नही होते थे। उनकी सहनशीलता का एक उदाहरण है कि एक बार उनके घर शिष्य आया हुआ था और वो उससे विमर्श करने में व्यस्त थे।
पत्नी ने उन्हें कई बार आवाज लगाई लेकिन वो सुने नही। इस बात पर पत्नी को गुस्सा आया और उसने पानी से भरी बाल्टी सुकरात पर उड़ेल डाली। यह देखकर शिष्य ने कहा कि आपको गुस्सा नही आया क्या और आप ये सब कैसे सहन कर लेते है। इस प्रश्न पर सुकरात का जवाब था कि “वह योग्य है, ठोकर लगा कर देखती है कि सुकरात कच्चा है या पक्का”।
एक ईमानदार व्यक्ति हमेशा एक बच्चा होता है। – सुकरात
सुकरात (Sukrat) दिखने में साधारण थे लेकिन उनका मानना था कि कुरूपता को अच्छे कामों से ढका जा सकता है। सुकरात एक शिक्षक थे जिन्होंने अपनी उच्च शिक्षाओं से समाज को महान व्यक्ति दिए। उन्होंने एक गुरुकुल भी खोला था और वहां छात्रों को शिक्षा दिया करते थे।
उनका मानना था कि किसी भी बात को आंख मूंदकर ना मानो, पहले तर्क के साथ विचार करो। सुकरात के ये विचार धार्मिक लोगो को नही भाते थे। इसलिए उनके कई सारे विरोधी भी हो गए थे। सुकरात धार्मिक और राजनीतिक आलोचना भी किया करते थे। सुकरात ने ग्रीस की सेना में भी कार्य किया था। उन्होंने ग्रीस की और से कई लड़ाइयों में भाग लिया था।
में सभी जीवित लोगो मे सबसे बुद्धिमान हूं क्योंकि में यह जानता हूं कि में कुछ नही जानता। – सुकरात
Sukrat History In Hindi सुकरात की जानकारी
सुकरात ने कभी कोई ग्रन्थ या पुस्तक नही लिखी थी। उनके विचारों और जीवन के बारे में उनके शिष्यों ने बताया था। सुकरात ने पाश्चत्य सभ्यता में अपने विचारों से बदलाव लाने का प्रयास किया था।
सुकरात (Sukrat) महान दार्शनिक प्लेटो के गुरु भी थे। सुकरात के विचारों के बारे में प्लेटो से ही जानने को मिलता है। उनके विचार और तर्क उस समय के समाज और शासन से उलट थे। सुकरात पर देशद्रोह का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया। उन पर मुकदमा चला और दोषी पाए जाने पर जहर का प्याला पिलाकर मौत की सजा दी गई। सुकरात ने माफी मांगने से अच्छा कानून का पालन करना समझा और हँसते हुए जहर का प्याला पी गए।
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