जीवाश्म क्या है? What Is Fossil In Hindi वर्तमान में हम यह जानते है कि करोड़ों साल पहले डायनासोर हुआ करते थे। यह कैसे संभव हुआ? हमें कैसे ज्ञात हुआ कि डायनासोर का अस्तित्व था? इन सभी प्रश्नों का उत्तर “जीवाश्म” है। खुदाई के दौरान चट्टानों पर इन जीवों की छाप मिली। ये उन जीवो के अवशेष होते है जो चट्टानों पर मिलते है। जीवाश्म किसे कहते है? आयु निर्धारण कैसे करे? और जीवाश्म कैसे बनते है? आइये पढ़ते है।
जीवाश्म क्या है – What Is Fossil In Hindi
जीवाश्म को अंग्रेजी में Fossil कहते है जिसका अर्थ होता है “खोदकर प्राप्त की गई वस्तु”। भूकम्प या किसी अन्य प्राकृतिक घटना के चलते पेड़ पौधे और जीव जंतु धरती के नीचे दब जाते है। लाखो सालो बाद इनके अवशेष जीवाश्मों के रूप में मिलते है। लाखों वर्षो तक इन जीवों का जीवाश्म चट्टानों की परतों में सुरक्षित रहता है।
फॉसिल का अध्ययन विज्ञान की जिस शाखा में किया जाता है, उसे “जीवाश्म विज्ञान” कहते है। जीवाश्मों से हमे पृथ्वी पर जीवों और पेड़ो के विकास का पता चलता है। लाखो सालो पहले पृथ्वी पर जीवन कैसा था? और किस तरह के जीव पाये जाते थे? इन सभी रहस्यों का पता जीवाश्म से चलता है। मानव का क्रमिक विकास भी इन्ही जीवाश्मों से पता लगता है।
जीवाश्म कैसे बनते है?
हजारो लाखों वर्षो की जैविक क्रिया के कारण जीवाश्म बनता है। जीवों और वनस्पति के जीवाश्म बनने के पीछे एक लम्बी प्रोसेस होती है। लाखो वर्षो की कार्बनिक क्रिया के कारण जीवाश्म का निर्माण होता है। उसी जीव या पेड़ का जीवाश्म बनता है जिसमें कठोर अंग होते है। जिन जीवो में कठोर अंग नही होते है, उनका जीवाश्म नही बन पाता है।
ये कठोर अंग कालांतर में पत्थर के हो जाते है। जीवों के कंकाल का सुरक्षित रहना भी अनिवार्य है। एक विशेष परिस्थिति का निर्माण होना जरूरी है जिसमें जीव “शैल या चट्टान” में दब जाए और वहां सुरक्षित रहे। स्थलीय जीवो से ज्यादा समुद्री जीवों के जीवाश्म बनने का ज्यादा चांस होता है।
ऐसा माना जाता है कि जहां जीवाश्म मिलते है, वहां भूतकाल में समुद्र हुआ करता था, इसलिये ज्यादातर जीवाश्म ऐसे इलाको में मिलते है। स्थल पर जीवाश्म बनने की क्रिया बहुत पेचीदा है।
मृत जीवों के शरीर पर कालांतर में कई प्रदार्थ जमा हो जाते है। इन पदार्थों को सेडीमेंट कहा जाता है। ये सेडीमेंट ही जीवाश्म को सुरक्षित रखते है। ये मृत शरीर चट्टानों में जम जाते है। इन पर कई खनिज प्रदार्थ और मिट्टी जम जाती है जिससे जीवाणु इन्हें नष्ट नही कर पाते है।
जीवाश्म की आयु का निर्धारण कैसे करे?
जीवाश्म Fossil कितना पुराना है और इसकी आयु कितनी है? इसकी गणना करने के लिए “रेडियो कार्बन डेटिंग” विधि का उपयोग किया जाता है। इस विधि को कार्बन 14 डेटिंग और कार्बन 12 डेटिंग भी कहते है। कार्बन 12 और कार्बन 14 के अणु के बीच अनुपात निकालकर जीवाश्म की आयु का निर्धारण होता है। अगर जीव अवशेष कम से कम 10000 वर्ष पुराना होता है, तभी वह जीवाश्म कहलाता है।
कुछ जीवाश्म इतने सूक्ष्म होते है कि उन्हें सूक्ष्मदर्शी के द्वारा ही देखा जा सकता है। ये “माइक्रो फॉसिल” कहलाते है। कुछ जीवाश्म कई फुट लम्बे होते है। “आभासी जीवाश्म” भी होते है जो किसी कारण से चट्टानों पर बन जाते है। ये जीवाश्म ना होकर केवल आकृतियां ही होती है। सबसे पुराने जीवाश्म बैक्टीरिया के पाये गए है।
जीवाश्म की जानकारी Fossil Information In Hindi
- कुछ प्रकार के जीवाश्मों में जीव का शरीर पूरा प्राप्त होता है। इस प्रकार के जीवाश्म विरल होते है। ये बहुत कम मिलते है। ये जीवाश्म पूरी तरह सुरक्षित होते है। हिम क्षेत्रो में मैमथ के कुछ कंकाल इस तरह के प्राप्त हुए है।
- कुछ जीवाश्मों में जीवों और पौधों के कंकाल का कुछ हिस्सा ही सुरक्षित रह पाता है।
- ऐसे जीवाश्म भी प्राप्त होते है जिनमें कंकाल का भी अपघटन हो जाता है। इसमे केवल साँचा रह जाता है। साँचो में मोम भरकर कंकाल की आकृति बना सकते है।
- चट्टानों और पत्थरों पर भूतकाल के जीवों के पदचिन्ह भी मिलते है। इन्हें जीवाश्म तो नही कह सकते लेकिन शोध के लिए ये काफी प्रभावी होते है।
चार्ल्स डार्विन ने भी डार्विनवाद थ्योरी को जीवाश्म का अध्ययन करके बताया था। भारत के महान पुरावनस्पति शास्त्री बीरबल साहनी जी ने भी जीवाश्म विज्ञान पर काफी कार्य किया था। उन्होंने पेड़ पौधों और जीवो के कई अवशेषों को खोज निकाला था।
जीवाश्म का महत्व क्या है?
दुनियाभर में कई जीवाश्म मिले है जिनमे डायनासोर, मछलियां, मानव, पेड़ जैसे कई जीव आते है। जीवाश्म से ही हमे धरती के शुरुआती एक कोशिकीय जीवन का पता चला है। धरती पर जुरासिक काल में पाए जाने वाले डायनासोर का अस्तित्व सामने आया है। डायनासोर और उनके अंडों के जीवाश्म कई जगहों से प्राप्त हुए है।
मानव जीवन के विकास का रहस्य की कुछ परते जीवाश्म अध्ययन से ही सामने आई है। हिम युग में विशालकाय हाथी मैमथ पाये जाते थे जिनके जीवाश्म पूर्ण रूप से सुरक्षित अलास्का और साइबेरिया में मिले है।
धरती के नीचे से निकलने वाला प्राकृतिक तेल या कोयला भी एक तरह का जीवाश्म ही है। इसे जीवाश्म ईंधन कहते है। प्राकृतिक आपदा के कारण पेड़ पौधे और जीव जंतु धरती के नीचे दब गए। कालांतर में जैविक क्रिया के कारण जैविक ईंधन का निर्माण हुआ।
यह जैविक क्रिया लाखों सालों की सतत क्रिया होती है। जीवाश्म को प्राप्त करना बहुत स्किल का कार्य होता है। एक पूरा वनस्पति शास्त्री ही चट्टान से जीवाश्म प्राप्त कर सकता है।
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बहुत बढ़िया जानकारी दी सर
Thanks