चार्ल्स डार्विन का जीवन परिचय Biography Of Charles Darwin In Hindi
डार्विन ने इंसान और जीव जंतुओं के क्रमिक विकास को समझाया था। महान जीव विज्ञानी और प्रकृति प्रेमी के बारे में Biography Of Charles Darwin In Hindi जानने का प्रयास करते है। चार्ल्स डार्विन ने ही यह सिद्धान्त दिया था कि आज का मनुष्य एक क्रमिक विकास का नतीजा है।
डार्विन इंग्लैंड के रहने वाले थे जिनका जन्म 12 फरवरी 1809 को हैम्पशायर में हुआ था। चार्ल्स के पिता का नाम रोबर्ट डार्विन था जो पेशे से डॉक्टर थे। चार्ल्स डार्विन की मां का निधन बचपन मे ही हो गया था। डार्विन के बचपन की पढ़ाई गाँव के ही एक स्कूल में हुई थी।
रोबर्ट डार्विन अपने पुत्र चार्ल्स को डॉक्टर बनाना चाहते थे , इसलिये उन्होंने चार्ल्स का एडमिशन एडिनबर्ग मेडिकल यूनिवर्सिटी में करवाया था। इस समय चार्ल्स डार्विन की उम्र 16 साल थी। पुत्र चार्ल्स डार्विन को मेडिकल में कोई रुचि नही थी। उनका मन प्रकृति में लगा रहता था। चार्ल्स को पेड़ पौधों के बारे में जानने की हमेशा जिज्ञासा रहती थी। उनको पोधो को जमा करना अच्छा लगता था।
Charles Darwin Theory Of Evolution In Hindi विकासवाद का सिद्धान्त
चार्ल्स डार्विन Charles Darwin ने पोधो और जीवो की कई प्रजातियों पर लगातार अध्ययन किया। इससे उन्होंने अपने शोध में पाया कि कई प्रजातियां एक दूसरे से मेल खाती है। इससे यह अनुमान लगा कि हो सकता है कि ये प्रजातियां भूतकाल में एक ही संयुक्त प्राजाति की हो। वर्ष 1858 में चार्ल्स डार्विन ने क्रमिक विकास का सिद्धांत दिया था।
संसार मे हर जगह की भौगोलिक स्थिति अलग अलग है। इन्ही भौगोलिक परिस्थितियों के कारण भूतकाल की एक प्रजाति से वर्तमान की कई प्रजातियां बन गयी। किसी भी स्थान विशेष की भौगोलिक परिस्थिति वहां के पेड़ पौधों पर अपना प्रभाव डालती है। उस परिवेश में जीवित रहने के लिए पेड़ पौधों और जीवो को ढलना पड़ता है।
Biography Of Charles Darwin In Hindi चार्ल्स डार्विन की जीवनी
डार्विन Charles Darwin ने जीव जंतुओं और मनुष्यों के बारे में भी यही बात कही है। जीवन जीने के संघर्ष में भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार जीवो ने खुद को ढाल लिया। मनुष्य का विकास भी बन्दर से माना गया है। क्रमिक विकास के चलते बन्दर से मनुष्य बना।
चार्ल्स डार्विन की पुस्तक The Origin Of Species थी। इस पुस्तक में डार्विन ने बताया कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत से ही जीवो का आपसी और प्रकति के प्रति संघर्ष चला आ रहा है। जो जीव या पौधे इस संघर्ष में अनुकूल रहे वो जीवित है। प्रतिकूल रहने वाली कई प्रजाति नष्ट हो गयी। जो जीव सर्वोधिक समर्थ थे वो ही इस प्रतिस्पर्धा में जीवित रह पाये। चार्ल्स डार्विन ने इस विकासवाद को बड़े ही तार्किक ढंग से समझाया था। इसे ही डार्विन का विकासवाद का सिद्धांत या डार्विनवाद कहते है।
Charles Darwin Information In Hindi चार्ल्स डार्विन
धरती पर मौजूद तमाम जीवो की उत्पत्ति एक ही जीव से हुई है। उसी जीव के क्रमिक विकास के चलते लाखो प्रजातियों का उदभव हुआ। यह विकास लाखो सालो का है, तभी यह परिवर्तन सामने आया। डार्विन का यह सिद्धांत वैज्ञानिक जगत में तो मान्य है लेकिन धार्मिक जगत में नही है। डार्विन के इस सिद्धांत का विरोध भी काफी हुआ था।
चार्ल्स डार्विन के इस सिद्धांत के पीछे उनके 20 साल का शोध था। कॉलेज के समूह के साथ 1831 में बीटल जहाज पर यात्रा की थी जो करीब 5 साल तक चली थी। यह एक शोध और वैज्ञानिक यात्रा थी। इसी दौरान डार्विन ने कई पोधो और जीवो के ऊपर अध्ययन किया। डार्विन ने देखा कि अलग अलग द्वीपो पर मिलने वाले जीव एक दूसरे से अलग थे लेकिन इनमें कुछ समानता भी थी। इसी आधार पर डार्विन को विकासवाद की थ्योरी सूझी थी। Charles Darwin Information In Hindi
19 अप्रैल, 1882 को चार्ल्स डार्विन का निधन हुआ था। डार्विन की थ्योरी पर सबके अपने विचार हो सकते है। कुछ इसका समर्थन करते है, तो कुछ विरोध करते है। लेकिन इस महान विज्ञानी ने दुनिया के सोचने का नजीरिया बदल दिया था।
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