अल्बर्ट आइंस्टीन की खोज – सापेक्षता का सिद्धांत क्या है? What Is Theory Of Relativity In Hindi
सापेक्षता का सिद्धांत अल्बर्ट आइंस्टीन की खोज थी जिसने विज्ञान को नई सोच और दिशा दी थी। उन्होंने ब्रह्मांड के सम्बंध में नई सोच का निर्माण किया था। आइंस्टीन ने स्पेशल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी में “Theory Of Relativity” को बताया था।
सापेक्षता का सिद्धांत क्या है और इसके बारे में विस्तृत चर्चा इस पोस्ट What Is Theory Of Relativity In Hindi में करेंगे। थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी को समझने के लिए स्पेस टाइम को समझना होगा।
विशेष सापेक्षता का सिद्धांत क्या है – Special Theory Of Relativity In Hindi
विशेष सापेक्षता का सिद्धांत (Theory Of Relativity In Hindi) – इस थ्योरी को समझने के लिए कल्पना करे कि आप एक अंतरिक्ष यान में है। यह अंतरिक्ष यान धरती से उड़ान भरता है और इस अंतरिक्ष यान की गति प्रकाश की गति के बराबर है। यह यान एक साल बाद धरती पर वापस आता है। आपके लिए यह एक साल का समय होगा लेकिन धरती पर कई साल गुजर गए होंगे। आप भविष्य में होंगे।
प्रकाश की गति constant है और यह किसी भी वजह से या किसी भी माध्यम में change नही होती है। यान के अंदर का समय धीमा हो जाता है। समय constant नही होता है, यह रिलेटिव होता है। पूरे ब्रह्मांड में हर जगह समय अलग अलग है। कोई भी वस्तु अगर प्रकाश की गति से जा रही है तो उसके लिए समय धीमा हो जाएगा। इसे टाइम deletion कहते है।
स्पेशल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी पर “Inertial Frame of Reference” लागू होता है। न्यूटन के प्रथम नियम के अनुसार जब कोई वस्तु constant गति कर रही है या फिर स्थिर अवस्था में है तो वह Inertial Frame of Reference होता है। इसका अर्थ जड़त्वीय रेफरेन्स होता है।
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विशेष सापेक्षता का सिद्धांत के उदहारण Special Theory Of Relativity Example
उदाहरण के तौर पर आप किसी बस में बैठे हुए है और वह बस मान लीजिये 50 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से चल रही है। आप बाहर की तरफ किसी व्यक्ति को देखते है तो वह व्यक्ति गतिशील दिखाई देता है। आप खुद को विराम अवस्था मे मानते हो। लेकिन अगर वह व्यक्ति आपको देखेगा तो उसे आप गतिशील लगेंगे और वह खुद विराम अवस्था में होगा। आप और वह व्यक्ति दोनों ही अपने अपने नजरिये से सही है।
इससे यह मालूम होता है कि गति सापेक्ष (Relative) होती है। किसी भी वस्तु की गति या विराम अवस्था का पता उसके रेफरेंस से पता चलता है। इसे ही “frame of reference” कहते है।
ऊर्जा का सूत्र समीकरण क्या है?
आइंस्टीन ने इस सिद्धांत में एक समीकरण भी दी थी। यह समीकरण ऊर्जा की समीकरण E= MC^2 कहलाती है। इसके अनुसार ऊर्जा को मास M में और मास M को ऊर्जा E में बदलना सम्भव है। आइंस्टीन की यह समीकरण आगे चलकर परमाणु बमो के आविष्कार की जननी बनी।
आइंस्टीन ने अपनी इस थ्योरी में यह भी बताया कि ब्रह्मांड में प्रकाश की गति से तेज कुछ भी नही है। अगर प्रकाश की गति से जाना सम्भव हो जाये तो हम भविष्य की सैर कर सकते है। यह अल्बर्ट आइंस्टीन की विशेष सापेक्षता का सिद्धांत (Special Theory Of Relativity In Hindi) थी।
सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत क्या है – General Theory Of Relativity In Hindi
अब बात करते है सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत (General Theory Of Relativity In Hindi) की। इस थ्योरी में अल्बर्ट आइंस्टीन ने गुरुत्वाकर्षण की नई परिभाषा दी थी। आइंस्टीन अपनी पहली थ्योरी से खुश नही थे। स्पेशल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी वास्तविक दुनिया में लागू नही होती है। क्योंकि हमारे आसपास की सारी चीजें त्वरित है।
धरती पर वस्तुओं का वेग अलग अलग है। कोई भी वस्तु कभी भी धीमी और तेज हो जाती है। इसलिये सर आइंस्टीन ने करीब 10 साल की मेहनत के बाद 1916 में सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत (General Theory Of Relativity) दी थी। आइंस्टीन के अनुसार गुरुत्वाकर्षण और त्वरण एक ही है।
गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन ने दिया था। अल्बर्ट आइंस्टीन ने गुरुत्वाकर्षण के संबंध में नई थ्योरी दी थी और उन्होंने गुरुत्वाकर्षण और त्वरण को एक ही कहा था। आइंस्टीन ने इसके लिये एक विचार प्रस्तुत किया था।
इस विचार के अनुसार मान लीजिये की आप एक लिफ्ट में है जो अंतरिक्ष में मौजूद है। अंतरिक्ष में ग्रैविटी में आई शून्यता के कारण आप उस लिफ्ट में तैर “Float” रहे है। अब उस लिफ्ट को ऊपर की और खींचकर उसे त्वरित किया जाए तो आप लिफ्ट की सरफेस पर आ जाएंगे। अब आपके लिए यह अंदाजा लगाना असम्भव होगा कि आप धरती की सरफेस पर है या फिर अंतरिक्ष में है। इससे यह मालूम होता है कि गुरुत्वाकर्षण और त्वरण एक ही है।
आइंस्टीन की गुरुत्वाकर्षण परिभाषा व स्पेस टाइम थ्योरी Definition Of Gravitational Force In Hindi
Space Time Theory In Hindi – आइंस्टीन ने बताया कि गुरुत्वाकर्षण कोई बल नही है, यह एक त्वरण का प्रभाव है। इसी प्रभाव के कारण स्पेस और टाइम विकृत हो जाता है। वेसे स्पेस और टाइम दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए है। इसलिए इनको Space Time भी कहते है। स्पेस टाइम एक फ्रेबिक चादर की तरह होता है। पिंड के भार के कारण स्पेस टाइम में एक कर्व बनता है। जिस पिंड का मास जितना अधिक होता है, वह स्पेस टाइम में उतना ही बड़ा कर्व बनाता है।
सूर्य का मास स्पेस और टाइम में कर्व बनाता है जिससे ग्रह उसके चारों तरफ चक्कर लगाते है। इसका अर्थ है कि गुरुत्वाकर्षण स्पेस टाइम में बना कर्व होता है। जिस स्थान पर ग्रैविटी ज्यादा होती है। वहां समय उतना ही धीमा होता है। ब्लैक होल की ग्रैविटी इतनी ज्यादा होती है कि वहां समय और अंतरिक्ष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
इस थ्योरी में आइंस्टीन ने चौथा आयाम जिसे टाइम कहते है को बताया है। आइंस्टीन ने प्रकाश के संदर्भ में बताया कि प्रकाश भी अपने पथ से मुड़ता है। न्यूटन की गुरुत्वाकर्षण थ्योरी को अल्बर्ट आइंस्टीन एक कदम आगे ले गए। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण को विस्तृत रूप से समझाया।
अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के दोनों सिद्धांत ब्रह्मांड को समझने में सहायक है। आइंस्टीन ने समय, गति और अंतरिक्ष को अपनी इन महत्वपूर्ण थ्योरी में आसानी से बताया है।
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Note:- विशेष सापेक्षता का सिद्धांत “Special Theory Of Relativity In Hindi” और सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत “General Theory Of Relativity In Hindi” पर यह आर्टिकल What Is Theory Of Relativity In Hindi आपको कैसा लगा। यह पोस्ट “अल्बर्ट आइंस्टीन की खोज – सापेक्षता का सिद्धांत” पसंद आयी हो तो इसे शेयर भी करे।