पालतू मवेशियों से सबंधित इस लेख “Animal Husbandry In Hindi” में पशुपालन की जानकारी (Pashupalan Information) और महत्व को बताया गया है। दोस्तों, पशुपालन का कार्य किसानों के द्वारा किया जाता है। पशुपालन क्या है? इस प्रश्न का उत्तर विस्तृत जानने का पूरा प्रयास इस Animal Husbandry Article में किया गया है। पशुपालन में पालतू उपयोगी पशुओं को पाला जाता है। गाय, भैंस, बकरी, भेड़ इत्यादि पशुओं को किसान आजीविका के लिए पालते है।
भारत के गांवों में पशुपालन आजीविका का एक महत्वपूर्ण जरिया है। इस लेख को पूरा पढ़े, जिससे पशुपालन क्या है? को आप आसानी से समझ पाए। तो आइए दोस्तों, पशुपालन के बारे में जानकारी जानने का प्रयास करते है।
पशुपालन की जानकारी – Animal Husbandry Information In Hindi
प्राचीन काल से ही पूरे विश्व में पशुपालन (Animal Husbandry) चलता आ रहा है। पशुपालन के अंतर्गत पालतू पशुओं को दूध, घी, गोबर इत्यादि के लिए पालते है। पशुपालन एक व्यवसाय है जिसे आप छोटा या बड़ा किसी भी तरह से कर सकते है। भारत के किसान या ग्रामीण लोग यह व्यवसाय करके महीनों के लाखों कमा रहे है। पशुपालन में घरेलू जानवर आते है जिनमें गाय, भैंस, बकरी इत्यादि आते है।
भारत का किसान वर्ग पशुपालन करता है। यह उसकी आमदनी का एक महत्वपूर्ण जरिया है। “पशुपालन” शब्द पशु और पालन से आया है जिसका अर्थ होता है पशुओं का पालन करना। पशुओं के चारे, पानी और भोजन का प्रबंध, पशुओं के लिए बाड़े का प्रबंध, उनके स्वास्थ्य और प्रजनन की देखभाल पशुपालन का हिस्सा है।
भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है लेकिन पशुपालन भी एक अहम हिस्सा है। पशुओं से प्राप्त होने वाला दूध एक महत्वपूर्ण प्रदार्थ है। भारत देश में सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन होता है। भारत का उत्तरप्रदेश, बिहार राज्य सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करते है। विश्व की सबसे अधिक भैंसे भारत देश में पायी जाती है। कृषि के साथ पशुपालन करना बेहतर है क्योंकि इससे पशुओं के लिए चारे और भोजन का और कृषि के लिए खाद का प्रबंध हो जाता है।
Pashupalan क्या है? वरदान!
एक गरीब ग्रामीण परिवार के लिए पशु किसी धन से कम नही है। पशुओं से उन्हें दूध और गोबर मिलता है जिसे बेचकर उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो जाती है। गांवों में कई मजदूर और भूमिहीन ग्रामीणों होते है जिनके लिए पशुपालन एक वरदान है। पशुपालन में केवल गाय या भैंस ही नही, भेड़ और मुर्गी भी आती है। भेड़पालन से ऊन प्राप्त होती है जो भी आमदनी का महत्वपूर्ण जरिया है। मुर्गीपालन से अंडा और मांस मिलता है। सीमित या असीमित आय का एक बढ़िया जरिया पशुपालन है। राजस्थान में ऊंट को भी पाला जाता है। ऊंटपालन का मकसद आवाजाही का साधन उपलब्ध करना है।
भैंस और गाय सर्वोधिक दूध देती है। बकरी से दूध बहुत कम प्राप्त होता है। अधिक दूध देने वाली गाय और भैंस की नस्ल का चुनाव जरूरी है। विदेशी नस्ल की गायें देसी से अधिक मात्रा में दूध देती है। जर्सी नस्ल की विदेशी गाय सर्वोधिक दूध देती है। साहीवाल, गिर, नागौरी, मालवी इत्यादि गाय की मुख्य नस्लें है। मुर्रा नस्ल की भैंस भी सर्वोधिक दूध उत्पादन करती है। इसके अलावा भदावरी, निलिरावी, नागपुरी इत्यादि अन्य भैंस की नस्लें है।
बकरी की मुख्य नस्लों में कश्मीरी, बारबरी, सुरती, मेहसाना, मारवारी इत्यादि आती है। बारबरी सबसे अधिक दूध देने वाली नस्ल है। पशुओं को दुधारू बनाये रखने के लिये उत्तम पशुपालन आवश्यक है। पशुओं से गोबर भी मिलता है जो खेती में खाद का काम करता है। गोबर से छाने भी बनते है जो ईंधन का काम करते है।
पशुपालन में ध्यान रखने योग्य बातें – Animal Husbandry In Hindi
एक आदर्श पशुपालन (Animal Husbandry) में मवेशियों की उचित देखभाल आवश्यक है।
1. पशुओं को हमेशा साफ सुथरे माहौल में रखना जरूरी है। अगर बाड़े का माहौल स्वच्छ नही है तो पशु बीमार हो सकते है। बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए।
2. पशुओं के लिए चारे का उचित प्रबंध आवश्यक है। पशुओं का मुख्य भोजन ही चारा है, इसलिए चारा प्रबंध जरूरी है। हरा चारा पशुओं के लिए बेहतर है। गाय, भैंस, बकरी इत्यादि सभी पशु चारा खाते है। पशुओं के भोजन की भी देखरेख करे। पशु के लिए पीने के पानी का इंतजाम भी जरूरी है। साफ और स्वच्छ पानी पशु को पिलाना चाहिए।
3. मवेशियों के लिए बाड़े का प्रबंध होना चाहिए। बाड़े में ताजी हवा आने का रास्ता होना जरूरी है। बाड़े में छप्पर भी होना जरूरी है क्योंकि सर्दी और बारिश के दिनों में उन्हें सुरक्षा मिलती है।
4. बीमारियों और रोगों से दूर रखने के लिए पशुओं को नहलाना भी जरूरी है। पशुपालन में मवेशियों को नहलाना एक नित्य क्रिया है। चाहे तो उनके बाड़े में ही नहला सकते है या फिर तालाब ले जाकर नहलाया जा सकता है। इससे उनके शरीर से परजीवी निकल जाते है।
5. समय समय पर पशुओं को उचित टीका लगाना जरूरी है। पशुओं पर भी जीवाणुओं, वायरस इत्यादि का प्रभाव होता है, इसलिए कई प्रकार की बीमारियां घर कर जाती है। ऐसी बीमारियों से बचाव के लिए पशुओं का टीकाकरण जरूरी है। पशुओं में मुंहपका और खुरपका नामक रोग हो जाता है जिसके लिए भी टीका लगाया जाता है। पशुओं में बुखार भी होता है, इसलिए गलघोंटू नामक बुखार में टीका जरूर लगवाए।
6. पशुओं में गर्भाधान का विशेष ध्यान रखे। एक स्वस्थ गर्भाधान स्वस्थ बच्चे को जन्म देता है। पशुओं में दूध का उत्पादन बच्चे के जन्म के बाद ही होता है। कृत्रिम गर्भाधान भी आजकल बहुत किया जाता है। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद बच्चे को तौलिये या सूती कपड़े से साफ करें। बच्चे की नाक की सफाई भी जरूरी है क्योंकि जन्म के समय बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए बच्चे को उल्टा लटकाना बेहतर है। गाय या भैंस के बछड़े को 2 से 3 घण्टे के अंदर मां का दूध अवश्य पिलाये।
पशुपालन का महत्व क्या है? Importance Of Pashupalan In Hindi
नर पशुओं का उपयोग खेती में किया जाता है। जैसे कि बेल का उपयोग खेत जोतने में होता है। बैलगाड़ी में भी बेलों का इस्तेमाल किया जाता है। ऊंटगाड़ी या घोड़ागाड़ी में भी पशुओं का उपयोग है। पशुपालन के दौरान दूध निकालना भी आवश्यक होता है। गाय, भैंस या बकरी का दूध निकालने में समय अलग अलग लगता है। गाय, भैंस का दूध निकालने ताकत और समझदारी आवश्यक है। बकरी का दूध निकालना इनकी तुलना में बहुत आसान है।
पशुपालन (Animal Husbandry In Hindi) से ही डेयरी उद्योग का भविष्य है। डेयरी में दूध, पनीर, दही, घी इत्यादि पशुओं से ही मिलते है। वर्तमान में पशुपालन को कृषि विज्ञान के अंतर्गत छात्रों को पढ़ाया जाता है। भारत सरकार पशुपालन के लिए लोन भी देती है।
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Very informative information thanks.