इस पोस्ट Zero Ki Khoj Kisne Ki में “0” शून्य का आविष्कार और खोज के बारे में जानकारी है। जीरो “0” की खोज दुनिया की महान और क्रांतिकारी खोज थी। गणित में शून्य का विशेष महत्व है, इसके बिना गणित की कल्पना भी नही की जा सकती है। शून्य या जीरो की खोज को आविष्कार भी कह सकते है। अब आइये जीरो की खोज किसने की थी? प्रश्न का उत्तर जानने का प्रयास करते है।
शून्य “0” की खोज किसने की – Zero Ki Khoj Kisne Ki?
शून्य की खोज या आविष्कार (0 Ka Avishkar) भारत के महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने किया था। वर्ष 1498 में आर्यभट्ट ने अपने महान ग्रँथ आर्यभटीय में शून्य के बारे में बताया था। आर्यभट्ट को भारत का महान गणितज्ञ माना जाता है जिन्होंने गणित के क्षेत्र में भारत का मान बढ़ाया था।
जीरो का आविष्कार किसने किया? पर अभी भी मतभेद है लेकिन ज्यादा निकट आर्यभट्ट का सिद्दांत ही माना जाता है। शून्य के आविष्कार ने आर्यभट्ट को इतिहास में अमर कर दिया।
जीरो की खोज से पूर्व या इसके वक्त ही दुनियाभर में अलग अलग संख्याओं का इस्तेमाल गणना में किया जाता था। कही पर 4 तो कही पर 12 संख्याओं का चलन था, भारत में 0 से 9 अंक की संख्या थी। प्राचीन समय में भी शून्य से संबंधित कई शिलालेख या पांडुलिपि मिली है।
जीरो का भारत में इतिहास – History Of Zero In Hindi
भारत के प्राचीन और पौराणिक ग्रन्थों में शून्य के बारे में जानकारी मिलती है। कई जैन और हिन्दू मंदिरों में इस बात के सबूत मिलते है कि शून्य की खोज भारत देश में ही हुई थी। प्राचीन भारत में मिले कई सबूतों से यह निश्चित है की शून्य का आविष्कार भारत में ही हुआ है।
भारत का शून्य 0 अरब में “सिफर” नाम से प्रचलित हुआ था। वराहमिहिर ने भी अपनी किताब पंचसिद्धांतिका में शून्य को बताया था। गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने भी शून्य को परिभाषित करने का प्रयास किया था। देवनागरी लिपि में भी शून्य को प्रकट किया गया है।
पश्चिमी देशों में शून्य को पहुचाने का श्रेय अरबों को जाता है। कई अरब विद्वानों ने अपने ग्रन्थों में शून्य का जिक्र किया था। कुछ पश्चिमी विद्वान यह भी कहते है कि शून्य का आविष्कार उनकी तरफ हुआ था लेकिन इसका कोई पुख्ता सबूत नही है। माया सभ्यता या बेबीलोन वासियों को भी जीरो का पता था।
शून्य क्या है? What Is Zero In Hindi
Zero Ki Khoj Kisne Ki – “0” एक गणितीय अंक है। यह संख्याओं का पूर्णांक भी है। किसी भी संख्या को शून्य से गुना करने पर शून्य ही प्राप्त होता है। अगर किसी संख्या को 0 से जोड़े या घटाए तो वही संख्या प्राप्त होती है। किसी भी संख्या के पीछे शून्य लगाने में उस संख्या विशेष का मूल्य बढ़ता है।
उदाहरण के तौर पर 1 के आगे एक शून्य लगाने पर 10 आता है। उसी तरह क्रमशः 2, 3, 4, 5 इत्यादि शून्य लगाने पर 100, 1000, 10000, 100000 मान प्राप्त होता है। सौ, हजार से लेकर लाख या करोड़, अरब तक की संख्याएं शून्य की वजह से ही मिलती है। शून्य का आविष्कार (Zero Ki Khoj) ही बड़ी संख्याओं का जनक है।
शून्य का आविष्कार (Zero Ki Khoj Kisne Ki)
शून्य का आविष्कार या आप शून्य की खोज कह लीजिए दुनिया के इतिहास में महानतम खोज थी। गणित में अंकों को दशमलव और पूर्ण करने में शून्य की अहम भूमिका है। किसी भी अंक के बाद दशमलव संख्या भी भारत देश की दुनिया को महान देन है।
जीरो की खोज (Zero Ka Avishkar) का श्रेय भारत को जाता है। यहां के विद्वानों ने गणित के क्षेत्र में अपना योगदान दिया था। आर्यभट्ट के शून्य का आविष्कार को हमेशा याद रखा जाएगा। हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय सितारे मनोज कुमार ने पूरब और पश्चिम मूवी में एक गाना गाया था जिसके बोल इस प्रकार है –
जब जीरो दिया, मेरे भारत ने, भारत ने, मेरे भारत ने,
दुनिया को तब गिनती आयी।
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Jab zero ki khoj aaryebhatt ne ki toh ravan k dus sar ko annko me kase likhte theye ..?