प्रकृति पर निबंध – Essay On Nature In Hindi
दोस्तो, प्रकृति में सुंदरता का वास होता है। Essay On Nature In Hindi में प्रकृति का महत्व पर निबंध संक्षिप्त में लिखने का प्रयास है। धरती ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन की धारा बह रही है। यह जीवन रूपी धारा ही प्रकृति है। प्रकृति ही जीवन के लिए आवश्यक संसाधनों की पूर्ति करती है।
सौरमण्डल में जिन ग्रहों को हम जानते है, उन पर प्रकृति का विकराल रूप है। बंजर धरा और विषयुक्त वायु इन पर विद्यमान है। हमारी प्यारी धरती इनसे अलग है। प्रकृति ने पृथ्वी पर हरियाली की आकर्षक छटा फैलाई हुई है। प्रकृति हमे जीवन देती है। जीवन रूपी वायु ऑक्सीजन, जल और भोजन प्रकृति का अनमोल उपहार है। आइये इसी सुंदर प्रकृति की चर्चा Importance Of Nature In Hindi Essay निबंध में करते है।
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प्रकृति क्या है? What Is Nature In Hindi
धरती पर प्रकृति (Nature) के अलग अलग रुप है। कही पर पेड़ों के सघन वन है तो कही पर रेतीले रेगिस्तान है। कही पर बहते हुए पानी के रूप में समुद्र और नदिया है तो कही पर विशाल मैदान है। धरती पर हिमालय पर्वत जैसी विशाल और लंबी पर्वत श्रंखलाएं भी है जो प्रकृति का विशाल स्वरूप दिखाती है।
धरती के धुर्वो पर प्रकृति की सुंदरता बर्फ के रूप में है। प्रकृति को वातावरण भी कह सकते है। प्रकृति का वातावरण कही पर ठंडा है तो कही पर गर्म है। Essay On Nature In Hindi निबंध में जानने का प्रयास करते है की प्रकृति क्या है?
दोस्तों प्रकृति कोई एक चीज नही है। यह कई चीजो का समावेश है। प्रकृति में जल, वायु, पेड़ पौधे, पशु पक्षी और मनुष्य आते है। घास के हरे भरे मैदान प्रकृति की सुंदरता को बिखेरते है। तरह तरह के रंग बिरंगे फूल हर किसी का मन मोह लेते है। उदास मन भी इन्हें देखकर प्रफुल्लित हो जाता है। प्रकृति हमारे मन और आंखों को सुकून देती है।
प्रकृति (Nature) को ईश्वर का वरदान भी कहते है। लेकिन यह वरदान कभी कभी अभिशाप बनकर सामने आता है। जब कभी भी प्रकृति में असंतुलन पैदा होता है, तब प्रकृति विकराल रूप लेती है। वर्तमान में कई कारणों की वजह से प्रकृति का संतुलन गड़बड़ाया हुआ है। ये कारण मुख्यतः मनुष्य जनित होते है। मनुष्य अपने फायदे के लिए इसको नुकसान पहुँचाता है।
आधुनिकता की हौड़ में मनुष्य इतना खो गया है कि वह प्रकृति को भूल चुका है। वह संसाधनों का त्रीव गति से दोहन कर रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो भविष्य के लिए संसाधनों का अभाव हो जाएगा। आधुनिकता और प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होते है। बढ़ती आधुनिकता प्रकृति की सुंदरता को कम कर रही है।
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प्रकृति को प्रभावित करने वाले कारण
1. मनुष्य लगातार प्रकृति का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। संसाधनों में होती तेज कमी का जिम्मेदार मनुष्य ही है। प्रकृति के संसाधन सीमित है, हमें इनका उपयोग संतुलित करना चाहिये। आधुनिक विकास के चलते प्रकृति को नुकसान हुआ है। पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई और घटते हुए जंगल प्रकृति को नष्ठ कर रहे है।
हरे भरे पेड़ो की जगह बड़ी इमारते और फैक्टरियां बन रही है। जीव जंतुओं का आवास वन है लेकिन हम इनके आवासो को उजाड़ रहे है। प्रकृति की सुंदरता पेड़ पौधों और वन्य जीवों से है लेकिन इनका लगातार हास् हो रहा है।
2. फेक्ट्रियो से निकला धुंआ भी प्रकृति को नुकसान करता है। यह एक जहर के समान है जिससे वायु प्रदूषण होता है। वाहनों से भी ईंधन के जलने से धुआं निकलता है। आये दिन होने वाला ट्रैफिक जाम यह बताने के लिये काफी है कि वायु प्रदूषण कितना हो रहा है।
3. खनीज प्रदार्थो का अत्यधिक दोहन हो रहा है। कोयला, लोहा, जिंक, सोना जैसे खनिजो का अत्यधिक खनन होता है। खनिजो के खनन से वायु में जहरीले प्रदार्थ मिल जाते है। यह प्रकृति को भारी नुकसान पहुँचा रहे है।
4. धरती पर लहराते हुए खेत किसी मुग्ध आकर्षण से कम नही होते है। किसान अपने अथाह परिश्रम से खेत जोतकर बीजारोपण करता है। जब इस परिश्रम का फल लहराती हुई फसल के रूप में दिखता है, तब इसका सौन्दर्य मंत्रमुग्ध कर देता है। वर्तमान में कृषि भूमि लगातार कम हो रही है। इसका कारण कृषि योग्य भूमि पर फैक्ट्रियों और इमारतों का बनना है।
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5. बढ़ती जनसंख्या भी प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही है। बीते कुछ दशकों में जनसंख्या में त्रीव बढ़ौतरी से संसाधनों में भारी कमी हुई है। बढ़ता शहरीकरण भी प्रकृति को नुकसान पहुचाने में जिम्मेदार है।
6. मनुष्य ने स्वार्थ में आकर प्रकृति को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। मनुष्य जनित कचरा भी प्रकृति की खूबसूरती को खत्म कर रहा है। प्लास्टिक सबसे खतरनाक कचरा है जो भूमि की उवर्कता को खत्म कर देता है।
7. फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए में हानिकारक रसायन भी होते है जो Nature को दूषित करते है। यह रसायन नदियों और समुद्र में मिलकर उसे दूषित कर रहे है। इसके कारण जलीय जीवो को भारी नुकसान पहुँचा है और इससे जलीय जीवों की कई प्रजाति नष्ट हो चुकी है।
8. किसी विशेष क्षेत्र में आने वाली प्राकृतिक आपदाएं भी प्रकृति की दोषी है। इनमे बाढ़, भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, अकाल प्रमुख है। ये कारण प्राकृतिक है।
9. प्रकृति का संतुलन बिगाड़ने और प्राकृतिक विषमताएं पैदा करने के लिए सबसे ज्यादा मनुष्य ही जिम्मेदार है। मनुष्यों के विभिन्न क्रियाकलापों के कारण प्रकृति में कई हानिकारक प्रदूषक मिल जाते है। ये प्रदूषक हवा और पानी मे मिलकर इन्हें जहरीला बना देते है। मनुष्य को इनके कारण श्वसन सम्बन्धी रोग हो जाते है। कई वायरल बीमारिया जैसे फ्लैग एक बड़ी आबादी को बीमारी बना देती है।
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प्रकृति का महत्व पर निबंध Importance Of Nature In Hindi Essay
विकास के नाम पर मनुष्य प्रकृति का लगातार दोहन कर रहा है। प्रकति ने हमे बिना मांगे बहुत कुछ दिया है। प्रकृति के दिये उपहार अनमोल है और हमे इनकी कद्र करनी चाहिए। प्रकृति में मनुष्य जो कचरा भर रहा है, उसे वह किसी भी दिन बाढ़, भूकम्प के रूप में निकाल देती है। प्रकृति का हार पेड़ पौधे और जीव जंतु है। इनके बिना प्रकृति का वजूद नही है। इसलिये सेव नेचर एंड सेव ह्यूमैनिटी।
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Thank you very much