यह आर्टिकल Har Gobind Khorana In Hindi नोबेल प्राइस विनर डॉ हरगोविंद खुराना की जीवनी (Biography Har Gobind Khorana In Hindi) पर है। हरगोविंद खुराना भारतीय मूल के एक महान वैज्ञानिक थे। अमेरिका उनकी कर्मभूमि थी और यही पर रहकर डॉ खुराना ने वैज्ञानिक अनुसंधान किये थे। 1968 में हरगोविंद खुराना को प्रोटीन संश्लेषण के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था।
हरगोविंद खुराना की जीवनी Har Gobind Khorana Biography In Hindi
हरगोविंद खुराना (Har Gobind Khorana) का जन्म आजादी से पहले रायपुर, मुल्तान में 9 जनवरी 1922 को हुआ था। अब यह जगह पाकिस्तान में है। आजादी के बाद 1966 में खुराना अमेरिका बस गए और वहां की नागरिकता ग्रहण कर ली थी हरगोविंद खुराना का परिवार बहुत गरीब था। डॉ खुराना जब 12 साल के थे, तब उनके पिता लाला गणपतराय का स्वर्गवास हो गया। हरगोविंद खुराना के बड़े भाई नन्दलाल खुराना ने उनकी पढ़ाई लिखाई का जिम्मा उठाया।
डॉ हरगोविंद खुराना की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव के ही एक स्कूल में हुई थी। खुराना पढ़ाई में अच्छे थे और हमेशा अच्छे अंक लाते थे। उनको अपनी पढ़ाई के बूते कई बार छात्रवृत्ति भी मिली थी। हरगोविंद जी ने 1943 में पंजाब विश्वविद्यालय से बीएससी ऑनर्स से डिग्री प्राप्त की थी। यही से एमएससी ऑनर्स भी पूरा किया था।
इसके बाद हरगोविंद खुराना को भारत सरकार की तरफ से छात्रवर्ती मिली और वो इंग्लेंड चले गए। इंग्लैंड आकार डॉ खुराना ने लिवरपूल विश्विद्यालय में रहकर डॉक्टरेट की पढ़ाई की थी। यहां उन्होंने प्रोफेसर रोजर जे ऐस बेयर के साथ मिलकर रिसर्च की। यही पर उनको डॉक्टरेट की उपाधि मिली थी। डॉ हरगोविंद खुराना स्विट्जरलैंड भी गए और वहा पर फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में शोध कार्य किया।
1952 में हरगोविंद खुराना कनाडा चले गए और वहां पर कोलंबिया यूनिवर्सिटी में जैव रसायन विभाग के अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत रहे। यही पर खुराना ने आनुवंशिकी पर शोधकार्य किया और अपने शोधपत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित किये, इससे उन्हें लोकप्रियता मिली।
1952 के वर्ष में ही डॉ खुराना ने एस्थर एलिजाबेथ नामक स्विस महिला से विवाह किया था। 1960 में डॉ खुराना अमेरिका चले गए और वहां पर विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में व्याख्यता के पद पर नियुक्त हुए। 1966 में डॉ खुराना ने अमेरिका की स्थायी नागरिकता ग्रहण कर ली थी।
हरगोविंद खुराना की खोज Har Gobind Khorana Inventions Information In Hindi
1968 में डॉ खुराना को जेनेटिक कोड और प्रोटीन संश्लेषण पर रिसर्च के लिए नोबेल प्राइस मिला। नोबेल प्राइस खुराना को दो अन्य वेज्ञानिको डॉ रोबर्ट होले और डॉ मार्शल निरेनबर्ग के साथ मिला था। इस रिसर्च में डॉ खुराना ने डीएनए और न्यूक्लिटाइड पर प्रकाश डाला था। डॉ खुराना ने आनुवंशिकता की व्याख्या की थी। उन्होंने यह समझाया था कि माता पिता के गुणसूत्र पुत्र के गुणों में आते है। जीन्स की संरचना की विस्तृत व्याख्या की थी। इसी रिसर्च के बदौलत आज कई जीवो का क्लोन बनाना सम्भव हुआ है।
वर्ष 1969 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। 1960 में डॉ खुराना को “प्रोफेसर इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक सर्विस”, कनाडा में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। यही पर खुराना को मार्क अवार्ड भी मिला। अमेरिका में डॉ खुराना को नेशनल अकादमी ऑफ साइंस की सदस्यता प्राप्त हुई। 9 नवम्बर 2011 को डॉ हरगोविंद खुराना का निधन हुआ। डॉ हरगोविंद खुराना अपने महान कार्यो के लिए हमेशा याद किये जायेंगे।
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