इस पोस्ट Panch Pandav Ke Naam In Hindi में पांच पांडवों के नाम (Pandavas Name) और पांडव कौन थे? पर सामान्य जानकारी दी गई है। महाभारत के बारे में जानने की जिज्ञासा हमेशा रहती है। हिन्दू धर्म की कथाओं में महाभारत का स्थान महत्वपूर्ण है। महाकाव्य महाभारत में पांच पांडव का युद्ध 100 कौरवों से हुआ था। यहां पर 5 पांड़वों के नाम (Panch Pandav Ke Naam) और उनके बारे में सामान्य जानकारी देने का प्रयास है।
पांडव कौन थे और जानकारी Panch Pandav In Hindi
पांडवों को “पांडव” उनके पिता के नाम पांडु की वजह से कहा जाता है। युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन की माता का नाम कुंती था जबकि नुकुल और सहदेव की माता का नाम माद्री था। महर्षि किंदम के दिये श्राप के कारण पांडु पिता नही बन सकते थे। दुर्वासा ऋषि ने कुंती को किशोरावस्था में मंत्र दिए थे। उन मन्त्रो के जाप से कुंती और माद्री को पुत्र प्राप्ति हुई थी।
कुंती ने मंत्र जाप करके देवताओं का आहान किया था। धर्मराज (यमराज) से युधिष्ठिर, वायुदेव से भीम और इंद्रदेव से अर्जुन को पुत्र रूप में प्राप्त किया था। माद्री ने मन्त्रो की सहायता से अश्विनीकुमारों का आहान किया और उनसे नकुल और सहदेव पुत्र प्राप्ति की थी।
महाभारत के समय के एक और किरदार महाबली कर्ण भी कुंती पुत्र थे। पांच पांडव का विवाह द्रौपदी से हुआ था। अर्जुन द्रौपदी को स्वयंवर से विवाह करके लाये थे। परंतु माता कुंती ने उसे देखे बिना ही बांट लेने का आदेश दे दिया। इसी कारण द्रोपदी पांचों भाइयों की पत्नी हुई। पांच पांडवों के गुरु का नाम द्रोणाचार्य था।
जुए में सब कुछ हारने पर पांडवों को 12 वर्ष का जंगलवास मिला था जबकि 13 वां वर्ष अज्ञातवास का था। 1 वर्ष के अज्ञातवास में पांडु पुत्र भेष बदलकर रहे थे। पांडवों ने हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ राज्यों पर शासन किया था।
पांच पांडवों के नाम Panch Pandav Ke Naam In Hindi
युघिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव।
पांच पांडवों के नाम (Panch Pandav Ke Naam) के साथ उनके बारे में समान्य जानकारी भी जानेंगे।
1. युधिष्ठिर (Yudhisthira)
पांच पांडवों में सबसे बड़े भाई का नाम युधिष्ठिर था। कुंती पुत्र युधिष्ठिर को धर्मराज भी कहा जाता है। युधिष्ठिर हमेशा सच बोला करते थे और न्यायप्रिय थे। युधिष्ठिर को गुरु द्रोणाचार्य ने भाला चलाने की शिक्षा दी थी। युधिष्ठिर का द्रौपदी से हुए पुत्र का नाम प्रतिविन्ध्य था। युधिष्ठिर की एक और पत्नी थी जिसका नाम देविका था। देविका से युधिष्ठिर के धोधेय नामक पुत्र था।
सशरीर स्वर्ग जाने वाले एकमात्र पांडव युधिष्ठिर ही थे। युधिष्ठिर अज्ञातवास में कंक ब्राह्मण के भेष में विराटनगर के महल में रहे थे।
2. भीम (Bhima)
भीम को भीमसेन, वृकोदर भी कहा जाता है। पांच पांडवों में सबसे बलशाली भीम थे। कहा जाता है कि भीम में 10 हजार हाथियों का बल था। भीम गदा धारण करते थे जिस कारण उन्हें गदाधारी भीम कहा जाता है। भीम की द्रौपदी के अलावा दो और पत्नियां थी। उनका नाम हिडिम्बा और बलंधरा था। जिनसे उन्हें क्रमशः घटोत्कच और संवर्ग पुत्र हुए। द्रौपदी से हुए पुत्र का नाम सुतसोम था।
भीम ने दुशाशन का सीना चीरकर द्रोपदी के अपमान का बदला लिया था। जरासंघ का वध भी भीम ने किया था। भीम ने ही गदा युद्ध में दुर्योधन को परास्त करके महाभारत का युद्ध जीता था। 100 कौरवों का वध भीम ने ही किया था। भीम अज्ञातवास में विराटनगर महल में बल्लव रसोइए के भेष में रहे थे।
3. अर्जुन (Arjun)
अर्जुन दुनिया के महान धर्नुधर थे। धनुष बाण चलाने में अर्जुन को महारत हासिल थी जिसकी शिक्षा गुरु द्रोणाचार्य से ली थी। अर्जुन ने ही मछली की आंख पर निशाना लगाकर द्रौपदी को स्वयंवर में जीता था। द्रोपदी से अर्जुन का पुत्र श्रुतकर्मा था। अर्जुन ने द्रौपदी के अलावा तीन और विवाह किए थे। उनकी तीन और पत्नियों का नाम सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा था। चक्रव्यूह को भेदने वाले अभिमन्यु अर्जुन के पुत्र थे और उनकी माता का नाम सुभद्रा था। सुभद्रा भगवान कृष्ण की बहन थी। अर्जुन को उलूपी से इरावत और चित्रांगदा से वभ्रुवाहन पुत्र प्राप्ति हुई थी।
अर्जुन ने अज्ञातवास में बृहनल्ला नृत्य शिक्षिका का भेष लिया था। महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ही गीता के उपदेश दिए थे।
4. नकुल (Nakula)
पांच पांडवों में नकुल सबसे सुंदर और रूपमान थे। उनकी तुलना कामदेव से की गई है। माद्री पुत्र नुकुल की द्रौपदी के अलावा एक और पत्नी जिसका नाम कारेनुमती था। नुकुल को द्रौपदी से शतानीक जबकि कारेनुमती से निरमित्र पुत्र हुए थे। नकुल घुड़सवारी और तलवारबाजी में निपुण थे। नकुल अज्ञातवास के दिनों में ग्रथिक नाम से विराटनगर में घोड़ो की देखभाल किया करते थे।
5. सहदेव (Sahadeva)
पांच पांडवों में सबसे छोटे सहदेव थे। पांडु पुत्र सहदेव भी माद्री पुत्र थे। सहदेव भी भाई नकुल की तरह रूपवान थे। सहदेव की द्रौपदी के अलावा विजया नाम की एक और पत्नी थी। द्रौपदी से श्रुतसेन और विजया से सुहोत्र पुत्र की प्राप्ति हुई थी। सहदेव पशुपालन में निपुण थे। तंतिपाल नाम से सहदेव ने विराटनगर में अज्ञातवास बिताया था।
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